शांतिपूर्ण तरीके से कलेक्टर घेराव का कार्यक्रम बेलगाम आक्रोश में बदल गई

जो घटना हुई है उसके लिए विपक्षी कांग्रेस पार्टी भी जिम्मेदार

संजीत बर्मन

 

आंसू गैस की गोले पानी की बौछारें और फिर पुलिस की लाठीचार्ज से शांतिपूर्ण तरीके से कलेक्टर घेराव का कार्यक्रम बेलगाम आक्रोश में बदल गई।

इस आक्रोश और आगजनी के पीछे के कारण को जानने की आवश्यकता है।

छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास जी के जन्म स्थल गिरौदपुरी में अमर गुफा के पास जैतखाम को काटे जाने के उपरांत पुलिस की विवेचना लगभग सभी लोगों को संदेहास्पद लग रही थी।

प्रदेश भर में सतनामी समाज के लोग सीबीआई जांच की मांग को लेकर तहसील ब्लाक स्तर पर शांति पूर्ण तरीके से ज्ञापन सौंप रहे थे।

लेकिन जातिवादी आदत से लाचार शासन प्रशासन के बैठे जातिवादी लोग सतनामी समाज की भावनाओं को सदैव कमतर आंकते रहे हैं

चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या मौजूदा भाजपा की सरकार दोनों ही सरकारों में बैठे हुए जातिवादी लोग उनकी मांगों पर कभी गंभीरता से लेते ही नहीं है उनके मांगों पर संवेदना दिखलाते ही नहीं हैं

बल्कि सतनामी समाज की नकारात्मक छवि बनाने के लिए सदैव उनकी मांगों में अड़ंगा डालते रहे हैं अनसुना करते रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में जब-जब नई राज्य सरकार की गठन होती है तब-तब सतनामी समाज के लोगों को उकसाने के लिए उनकी भावनाओं से खिलवाड़ करते रहे हैं जिससे समाज आक्रोशित होता है और उसी क्रम में न्याय न मिल पाने के कारण जन आक्रोश आज यहां तक पहुंच गई।

25 दिन तक लोग गुहार लगाते रहे लेकिन सरकार ने उनकी मांगें अनसुनी कर रखी थी।

जिला कलेक्टर कार्यालय में तोड़फोड़ आगजनी की घटना बेहद असमान्य और दुखद है।

जो पुलिस और शासन अब गंभीरता दिखलाएगी उसको पहले करना चाहिए था। जिससे आज जैसे अप्रिय घटना नहीं घटती।

आज की घटना के लिए राज्य सरकार की उदासीन रवैए के साथ-साथ सत्ता पक्ष और विपक्ष की अनुसूचित जाति वर्ग की सभी आरक्षित विधायक जिम्मेदार है। यह राज्य सरकार की प्रशासनिक विफलता को दर्शाती है।

ज्ञात हो कि कांग्रेस शासन काल में शासन प्रशासन द्वारा हमारे वजूद को नकारने वाली उदासीन रवैए के कारण सतनामी समाज के युवकों को फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी करने वालों पर कार्रवाई हेतु जायज मांगों को लेकर विधानसभा सत्र के दौरान सड़कों पर निर्वस्त्र प्रदर्शन करने की आवश्यकता पड़ गई थी।

चलिए समाज को राजनीतिक पायदान बनाते हैं।

गले पर कांग्रेसी पट्टा डाले हुए व्यक्ति डोंगरगढ़ विधानसभा के पूर्व विधायक Bhuneshwar Singh Baghel है जो कि कांग्रेसी शासन काल में जैतखाम को क्षतिग्रस्त करने का मामला हो या जाति उत्पीड़न का मामला हो यह व्यक्ति कभी सामने नहीं आया।

जब तक उनकी सरकार थी तब तक यह अपने सरकार के साथ खड़े थे और जब सरकार चली गई

जब यह विधायक से पूर्व विधायक बन गए तब समाज याद आने लगा है।

अब इन्हें अपने राजनीतिक आकाओं को दिखलाने की आवश्यकता है कि वह समाज के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और समाज में उनकी अच्छी पकड़ है इसलिए यह लोग समाज को राजनीतिक पायदान बनाने के लिए सामने आते हैं।

बलौदा बाजार में आगजनी और तोड़फोड़ की घटना बेहद असामान्य है पुलिस और प्रशासन को इस बिंदु पर भी जांच करनी चाहिए कि कहीं कोई राजनीतिक लाभ उठाने के लिए उक्त घटना को अंजाम तो नहीं दिया गया है।

और Bhupesh Baghel हो या Dr. Charan Das Mahant इन्हें गुरु घासीदास जी के जैतखाम के मामले पर बोलने का कोई हक नहीं है। इनके शासनकाल में इनके विचार भी दागदार हैं।

जो कल की घटना हुई है उसके लिए विपक्षी कांग्रेस पार्टी भी जिम्मेदार है जो सतनामी समाज के लोगों को वोट बैंक तो मानती है लेकिन उनके उत्पीड़न और अत्याचार के मामले अछूत हो जाते हैं सिर्फ चुनाव प्रचार में याद आते हैं।

ज्ञात हो कि पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते भुपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष होने के नाते चरण दास महंत गिरौदपुरी के जैतखाम मामले पर कल की घटना से पहले एकदम चुप थे। अब राजनीतिक लाभ मिलने के उम्मीद में बयानबाजी कर रहे हैं।

ज्ञात हो कि शासन और प्रशासन सतनामियों की मांग को अनसुना नहीं करती तब यह घटना कभी नहीं हुई होती।


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