नक्सलवाद: विष्णु - विजय का विजन
जल्द होगा नक्सली उन्मूलन! 'स्पेशल स्टोरी'
दिलीप साहूछत्तीसगढ़ में दशकों से नक्सलवाद की समस्या चले आ रही है, सरकारें बदलती रही, नक्सलवाद को खत्म करने के दावे लगातार किए गए, लेकिन समस्या जस का तस बने रही। बल्कि माओवादियों का बस्तर समेत छत्तीसगढ़ में और विस्तार होते रहा। हालांकि कुछ सालों से नक्सलवाद बस्तर के कुछ इलाकों में ही सिमट कर रह गया है। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार आने के बाद पुलिस जवानों और नक्सलियों के एनकाउंटर और सरेंडर की घटनाएं बढ़ गई है।

नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में जवानों को मिल रही सफलता को सत्ता पक्ष जहां विष्णुदेव साय सरकार की उपलब्धि बता रही है, वहीं विपक्ष कुछ मुठभेड़ों की फर्जी बताते हुए सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रही है।
छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय की सरकार नक्सली उन्मूलन के लिए आक्रामक नजर आ रही है, हालांकि बातचीत का रास्ता भी खुले होने की बात सरकार की ओर से लगातार की जा रही है, लेकिन नक्सली क्षेत्र में लगातार की जा रही कार्रवाई से नक्सली बैक फुट पर नजर आ रहे हैं।
आलम यह है कि करीब 5 महीने में ही सुरक्षा बलों के जवानों ने विभिन्न मुठभेड़ों में 120 से अधिक माओवादियों को मार गिराए हैं। वहीं अब तक 375 से अधिक नक्सलियों ने आत्म समर्पण कर मुख्यधारा में जुड़ गए हैं।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कहना है कि भाजपा सरकार नक्सलवाद के साथ मजबूती से लड़ाई लड़ रही है। नक्सली मारे जा रहे हैं और गिरफ्तारी भी हो रही है। पुनर्वास नीति को और अच्छे से बनाना चाह रहे हैं, ताकि नक्सली मुख्य धारा से जुड़ सकें।
इस साल की अब तक पुलिस जवानों और नक्सलियों के बीच हुए प्रमुख मुठभेड़ पर एक नजर डालें तो-
30 जनवरी 2024
छत्तीसगढ़ के सुकमा-बीजापुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र टेकलगुड़ेम गांव में सीआरपीएफ कैंप पर नक्सलियों ने बड़ा हमला कर दिया था। इस हमले में 3 जवान शहीद हो गए, जबकि 15 जवान घायल हैं, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया।
25 फरवरी 2024
25 फरवरी को कोयलीबेड़ा इलाके के एक जंगल में मुठभेड़ उस वक्त हुई, जब जिला रिजर्व गार्ड और बॉर्डर सेक्योरिटी फोर्स की एक संयुक्त टीम नक्सल विरोधी अभियान पर थी। मुठभेड़ स्थल से 3 नक्सलियों के शव और दो हथियार बरामद किए गए हैं।
2 अप्रैल 2024
बीजापुर के गंगालूर के लेन्द्रा और कोरचोली में 2 अप्रैल को पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। सुरक्षा बलों के जवानों ने तीन महिला समेत 13 नक्सलियों को मार गिराया था, हालांकि इस मुठभेड़ को लेकर भी स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाया था।
6 अप्रैल 2024
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में तीन नक्सली मारे गए हैं। 6 अप्रैल को तेलंगाना की सीमा से लगे छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के घने जंगल में सुरक्षाबलों ने एनकाउंटर में 3 नक्सलियों को मार गिराया था।
16 अप्रैल 2024
कांकेर जिले के छोटे बेठिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत कलपर और आपाटोला गांव के करीब सुरक्षाबलों ने 16 अप्रैल को मुठभेड़ में 15 महिलाओं सहित 29 नक्सलियों को मार गिराया था। इस घटना में तीन सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए थे। जिन्हें इलाज के लिए रायपुर लाया गया।
10 मई 2024
नक्सल ऑपरेशन में 10 मई 2024 को बीजापुर में मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में 12 नक्सली मारे गए थे। इस मुठभेड़ का मामला तब गर्मा गया, जब नक्सलियों ने कहा कि मारे गए लोग उनकी टीम के सदस्य नहीं, बल्कि आम नागरिक हैं। इस मामले को लेकर स्थानीय ग्रामीणों के साथ ही कांग्रेस ने भी सवाल उठाया और कांग्रेस की एक जांच कमेटी ने गांव में पहुंचकर जांच की और इस मुठभेड़ को फर्जी बताया।
23 मई 2024
बीजापुर-नारायणपुर सीमा के पल्लेवाया-हांदावाड़ा इलाके में पुलिस जवानों ने मुठभेड़ में सात नक्सलियों को मार गिराया था। वहीं दूसरे दिन यानि 24 मई को वापस लौटते हुए एक और नक्सली को मार गिराया। इस तरह इस मुठभेड़ में 8 नक्सली मारे गए।
करीब पांच महीनों में 120 नक्सली मारे गए
375 नक्सलियों ने आत्म समर्पण किया है
153 नक्सलियों को अरेस्ट किया गया है
143 आइईडी बरामद किए गए हैं
नक्सलियों के पास से अब तक 112 से अधिक हथियार जब्त
एलएमजी- दो, एके 47- पांच, इन्सास- तीन, एसएलआर'9, एमएम पिस्टल-03, कार्बाइन-02, 303 रायफल-07, कुल 23 ग्रेडेड वेपन सहित 112 से अधिक हथियार जब्त किए गए है।
नक्सली मुठभेड़ में आई कमी
वर्ष 2019 में 330
वर्ष 2020 में 334
2021 में 253
2022 में 240
2023 में 278
वर्ष 2024 में अब तक 200 मुठभेड़ हुई है।
सुरक्षा कैंप
वहींं छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बनने के बाद साढ़ेे चार महीने में 28 सुरक्षा कैंप खोले गए हैं। और 29 नवीन कैंप और खोले जायेंगे। सुकमा जिले में -7, बीजापुर-8, दंतेवाड़ा-2, नारायणपुर-3, कांकेर', राजनांदगांव', मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी-01, खैरागढ़', कबीरधाम में -4 नए कैंप शामिल है।
नक्सलियों के प्रति सख्ती के साथ ही राज्य सरकार नक्सलियों के आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति को भी अपग्रेड कर रही है। इसके लिए सभी वर्गों से सुझाव मांगे जा रहे हैं। देश में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब नक्सलियों से आत्म समर्पण के लिए उनसे ही सुझाव मांगा जा रहा है कि आत्मसमर्पण के बाद उन्हें क्या सुविधाएं चाहिए?
इसके लिए नियद नेल्लानार बस्तर अभियान के तहत नीति को अपग्रेड करने के लिए जारी किए गए ईमेल आईडी व गूगल फॉर्म सीधे गृह मंत्री शर्मा के पास पहुंचेंगे और वह हर सुझाव को खुद देखेंगे। गृहमंत्री विजय शर्मा का कहना है कि इस क्षेत्र में कई ऐसे लोग भी हैं, जो अंदर जाकर रिपोर्टिंग करते हैं। इस गूगल फॉर्म और ईमेल उन तक पहुंचाने के लिए ऐसे लोगों की भी मदद ली जाएगी, क्योंकि सभी की मदद से ही नक्सलवाद को खत्म किया जा सकता है।
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धनेंद्र साहू ने कहा, पुनर्वास नीति में प्रावधान करना है, तो उसका स्वागत है, लेकिन नक्सलियों से सलाह लेने की आवश्यकता नहीं है, जिन्हें देश के संविधान पर भरोसा नहीं उनसे उपमुख्यमंत्री सलाह मांग रहे हैं। सरकार को विशेषज्ञों से सुझाव लेना चाहिए।
वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज का कहना है कि सरकार चलाने के लिए भी नक्सलियों का सुझाव ले लें। सरकार के पहल से स्पष्ट है, पुनर्वास को लेकर कोई योजना नहीं है। सरकार नक्सल उन्मूलन की नीति को लेकर भी कन्फ्यूज है। केंद्रीय गृहमंत्री और राज्य के गृहमंत्री अलग - अलग बात करते हैं।
छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार नक्सलवाद के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। एक तरफ जहां केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह राज्य सरकार को सफल ऑपरेशन के लिए शाबाशी दे रही हैं। वहीं कांग्रेस कुछ मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए सवाल उठा रही है और न्यायिक जांच की मांग कर रही है।
कांग्रेस की जांच कमेटी ने बीजापुर के पीडिया पहुंचकर ग्रामीणों से चर्चा कर मामले की जांच की। जांच कमेटी के संयोजक संतराम नेताम का कहना है कि बीजेपी सरकार पुलिस वालों के माध्यम से आदिवासियों को खत्म करने में जुटी है। इस घटना में मारे गए मृतक का नाम पुलिस अलग बता रही है, जबकि मौत अन्य निर्दोष ग्रामीणों की हुई है। इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रदेश में नक्सल मूवमेंट को लेकर चलाए जा रहे ऑपरेशन को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पीठ धपथपाई है। गृहमंत्री ने आश्वस्त किया कि अगले दो-तीन सालों में देश नक्सल मुक्त हो जाएगा। वहीं, नक्सल ऑपरेशन को फेक बताए जाने पर कांग्रेस को आड़ों हाथ लिया।
केद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का कहना है कि छत्तीसगढ़ के तीन चार जिलों में समस्या बची है।
अगले 3 साल में देश नक्सल समस्या से मुक्त होंगे। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के सरकार आने के बाद लगातार नक्सली मारे जा रहें हैं। कुछ मुठभेड़ को फर्जी बताए जाने को लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- कांग्रेस के सरकार थी, तब कहां गई थी कांग्रेस पार्टी। यह कह रही है फेक एनकाउंटर हो रहे हैं। तुलसीदास जी का एक कोट है, जिसका बुरा समय आता है भगवान सबसे पहले उसकी मति हर लेता है। कांग्रेस पार्टी के साथ शायद यही हुआ है। वहीं पूर्व सीएम भूपेश बघेल बीजेपी सरकार की नक्सल नीति को लेकर सवाल उठा रहें हैं।
बहरहाल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और गृहमंत्री विजय शर्मा का विजन साफ नजर आ रहा है। सरकार नक्सलियों को मुख्यधारा में जोडऩे के लिए जहां नई पुनर्वास नीति पर सुझाव मंगा रही है वहीं नक्सलियों के साथ बातचीत का रास्ता खुला होने की बात कह रही है, तो वहीं सख्ती बरतते हुए बस्तर के नक्सलगढ़ के घुसकर एनकाउंटर कर रही है। अब देखना होगा विष्णुदेव साय कि यह नीति नक्सल उन्मूलन में कितना कारगर साबित होता है?
दक्षिण कोसल के लिए दिलीप साहू की विशेष रिपोर्ट।
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