पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति, छात्रों की योजना व सोशल मीडिया विषय पर दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण

विशद कुमार

 

वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए केंद्रीय एवं राज्य बजट की घोषणा हो चुकी है। केंद्र एवं राज्य सरकार के बजट में अनुसूचित जाति एवं आदिवासी उपयोजना के तहत दलितों एवं आदिवासियों के लिए क्या-क्या बजटीय प्रावधान किए गए हैं, साथ ही साथ शिक्षा के क्षेत्र में अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग के छात्रों के लिए बजट में क्या प्रावधान किए गए हैं और झारखंड में छात्रवृति की वर्तमान स्थिति क्या है?

इन्ही सब मुद्दों पर विश्लेषण हेतु दो दिवसीय आवासीय कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन 17 मार्च 2021 को लातेहार जिला अंतर्गत बेतला के होटल पार्क व्यू में हो गया।

छात्रों के मुद्दों पर बातचीत करने एवं समझ विकसित करने के साथ ही इन्ही मुद्दों पर सोशल मीडिया में अपनी बातों को किस प्रकार रखा जाए, इसका भी प्रशिक्षण दिया गया।

कार्यक्रम की शुरूआत 16 मार्च को संविधान की प्रस्तावना पाठ और संवैधानिक मूल्यों पर विस्तृत चर्चा के साथ हुई।

दलित आर्थिक अधिकार आन्दोलन-एनसीडीएचआर संगठन के राज्य समन्वयक मिथिलेश कुमार और ज्ञानेश्वर ने पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए आवेदन प्रक्रिया के दौरान आने वाली समस्याओं के निदान हेतु छात्रों को महत्वपूर्ण जानकारी दी, ताकि छात्र समय पर आवेदन भरने हेतु योजना बनाकर तैयारी कर सकें।

रश्मि बेक ने शिक्षा के अधिकार को प्राप्त करने में छात्र संगठन और आन्दोलनों की भूमिका पर विमर्श प्रस्तुत किया।

सामाजिक कार्यकर्ता सुनील मिंज और फिलिप कुजूर ने आदिवासी और दलित उपयोजना TSP और SCSP के प्रावधानों से छात्रों का परिचय करवाया और सामुदायिक विकास के लिए ग्राम सभा की भूमिका को मजबूत करने के सुझाव दिए।

जेम्स हेरेंज ने इन्टरनेट के इस्तेमाल से नरेगा, राशन और सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं पर निगरानी कर समुदाय की मदद करने के छात्रों को गुर सिखाये।

दीपक बाड़ा ने मोबाइल फ़ोन द्वारा समुदाय के मुद्दों पर विडियो पत्रकारिता करना सिखाया और सोशल मीडिया के महत्व एवं भ्रामक खबरों को पहचानना सिखाया।

कार्यक्रम का संचालन मनोज कुमार भुइयां और भास्कर राज ने किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजकर्मी बलराम थे तथा उनके साथ साथ कन्हाई सिंह, जितेन्द्र सिंह, जोगेंदर चौरसिया, महादेव सिंह, हरदयाल सिंह, पूनम विश्वकर्मा, विल्सन तिग्गा, महेद्र सिंह, सुभाष सिंह, मानिकचंद कोरवा इत्यादि ने कार्यक्रम को सफल बनाया।


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