दुर्ग लोकसभा: छत्तीसगढ़ी राजनीति में दशा और दिशा तय करेगा
किसी भी समाज को नाराज करना राजनीतिक भूल साबित होगी
दिलीप साहूदुर्ग लोकसभा में जातीय समीकरण काफी मायने रखता है। यहां साहू, सतनामी, यादव और कुर्मी समाज की बहुलता है। ऐसे में जितने भी पिछले चुनाव हुए हैं, उसमें दोनों ही बड़े राजनीतिक दलों ने टिकट की लंबी दौड़ में शामिल कई दिग्गजों की टिकट काटते हुए जातिगत समीकरण बैठाने की कोशिश की है। इससे राजनीतिक दलों को फायदा भी हुआ है। यहां साहू समाज 30 से 35 प्रतिशत, कुर्मी समाज 20-22 प्रतिशत, यादव समाज 12-15 प्रतिशत, सतनामी समाज 20-22 प्रतिशत हैं। ऐसे में यादव और सतनामी समाज मिलकर कई बार लोगों के अनुमानों को गलत साबित करते दिखाई दिए हैं। किसी भी समाज को नाराज करना राजनीतिक दलों के लिए बड़ी भूल हो सकती है।

लोकसभा चुनाव 2024 में दुर्ग लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ की राजनीति का केंद्र बिंदु बना हुआ है। भाजपा ने दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के दो प्रत्याशियों को मैदान में उतारा हैं। दुर्ग से जहां मौजूदा सांसद विजय बघेल पर दोबारा विश्वास जताया गया है, वहीं दुर्ग की पूर्व सांसद कद्दावर नेत्री सरोज पांडेय को कोरबा सीट से मैदान में उतार दिए हैं। वहीं कांग्रेस ने दुर्ग क्षेत्र के ही 4 प्रत्याशियों पर भरोसा जताते हुए उन्हें अलग-अलग लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा रहें है।
दुर्ग के पाटन क्षेत्र के पूर्व सीएम भूपेश बघेल को राजनांदगांव लोकसभा से, पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को महासमुंद लोकसभा से, भिलाईनगर के विधायक देवेंद्र यादव को बिलासपुर से तो प्रदेश महामंत्री राजेंद्र साहू को दुर्ग लोकसभा का उम्मीदवार बनाया है। दुर्ग लोकसभा में कांग्रेस के राजेंद्र साहू और बीजेपी के विजय बघेल के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है।
दुर्ग लोकसभा सामान्य सीट है। यहां देश की आजादी से लेकर अब तक 18 बार चुनाव लड़ी जा चुकी है। अविभाजित मध्य प्रदेश में साल 1952 से 1999 के समय में यह मध्यप्रदेश के बिलासपुर संभाग का निर्वाचन क्षेत्र था। दुर्ग लोकसभा सीट पर 10 बार कांग्रेस, 6 बार भाजपा के सांसद ने बाजी मारी है। वही एक-एक बार जनता पार्टी और जनता दल ने सफलता हासिल की है। साल 2000 में राज्य बनने के बाद साल 2004 से 2019 तक चार बार चुनाव हुए हैं। तीन बार भाजपा तो एक बार कांग्रेस ने चुनाव में अपना परचम लहराया है। शुरुआती समय में दुर्ग कांग्रेस का गढ़ रहा था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भाजपा ने धाक जमाई है।
साल1952 से 1971 तक यहां कांग्रेस का दबदबा रहा। साल 1977 में जनता पार्टी ने चुनाव जीता था, फिर साल 1980 में यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। साल 1989 में जनता दल के उम्मीदवार ने यहां से चुनाव जीता, फिर 1991 में कांग्रेस ने यहां से जीत हासिल की। इसके बाद साल 1996 से 2009 तक भाजपा ने कब्जा जमाए रखा। साल 2014 में एक बार फिर कांग्रेस की वापसी हुई। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां जीत दर्ज की।
दुर्ग लोकसभा सीट पर कुल 20 लाख 90 हजार 414 मतदाता हैं। इनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 10 लाख 42 हजार 414 हैं। वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 10 लाख 48 हजार 360 हैं। साथ ही 54 थर्ड जेंडर मतदाता हैं।
दुर्ग लोकसभा सीट
कुल मतदाता - 20,90,414
पुरुष मतदाता - 10,42,000
महिला मतदाता - 10,48,360
थर्ड जेंडर मतदाता - 54
दुर्ग लोकसभा सीट पर 26 सहायक मतदान केन्द्रों सहित कुल 2259 मतदान केंद्र है। इनमें से 17 मतदान केंद्र संवेदनशील घोषित किए गए हैं।
वहीं दुर्ग लोकसभा चुनाव 2024 में कुल 25 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं-
प्रमुख प्रत्याशियों पर नजर डाले तो-
विजय बघेल - भारतीय जनता पार्टी
राजेंद्र साहू - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
दिलीप रामटेके - बहुजन समाज पार्टी
शीतकरण महिलवार - आजाद समाज पार्टी (काशीराम)
पुष्पा मैरिषा - आम्बेडकराईट पार्टी ऑफ इंडिया
यशवंत सीताराम साहू - भारतीय शक्ति चेतना पार्टी
डॉ अंजू केमे - एकम सनातन भारत दल
शंकर ठाकुर - गोंडवाना गणतंत्र पार्टी
विकास शर्मा - लोकशाही एकता पार्टी
श्याम सुंदर साहू - लोकतंत्र कांग्रेस पार्टी
राकेश साहू - न्याय धर्मसभा
सुखदेव टंडन - राष्ट्रीय जनसभा पार्टी
सविता बंजारे - शक्ति सेना भारत देश शामिल हैं।
इनके अलावा 12 स्वतंत्र उम्मीदवार भी इस बार चुनावी मैदान में है।
दुर्ग लोकसभा में जातीय समीकरण काफी मायने रखता है। यहां साहू, सतनामी, यादव और कुर्मी समाज की बहुलता है। ऐसे में जितने भी पिछले चुनाव हुए हैं, उसमें दोनों ही बड़े राजनीतिक दलों ने टिकट की लंबी दौड़ में शामिल कई दिग्गजों की टिकट काटते हुए जातिगत समीकरण बैठाने की कोशिश की है।
इससे राजनीतिक दलों को फायदा भी हुआ है। यहां साहू समाज 30 से 35 प्रतिशत, कुर्मी समाज 20-22 प्रतिशत, यादव समाज 12'5 प्रतिशत, सतनामी समाज 20-22 प्रतिशत हैं। ऐसे में यादव और सतनामी समाज मिलकर कई बार लोगों के अनुमानों को गलत साबित करते दिखाई दिए हैं। किसी भी समाज को नाराज करना राजनीतिक दलों के लिए बड़ी भूल हो सकती है।
दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में इस बार दोनों ही राजनीतिक दलों ने साहू- कुर्मी जातीय के प्रत्याशियों को मैदान में उतारकर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। ऐसे में प्रदेश की हॉट लोकसभा सीटों में शुमार दुर्ग में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर की स्थिति है। यहां कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र साहू का मुकाबला भाजपा के विजय बघेल से है। विजय बघेल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भतीजे हैं।
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही उम्मीदवार कुर्मी समाज से थे। भाजपा के विजय बघेल और कांग्रेस से प्रतिमा चंद्राकर की बीच कड़ी टक्कर हुई थी। हालांकि मतदाताओं ने विजय पर भरोसा जताया था। कांग्रेस की प्रतिमा चंद्राकर को 3 लाख 91 हजार 978 वोटों से हराया था। इस बार दोनों प्रत्याशियों के अपने अपने दावे हैं।
बहरहाल भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों ने दुर्ग लोकसभा में अपनी पूरी ताकत झोंक रखी हैं। भाजपा से जहां केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रदेश चुनाव प्रभारी नितिन नवीन, सीएम विष्णुदेव साय लगातार कमान संभाले हुए हैं, वहीं कांग्रेस से महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा, सचिन पायलट, पूर्व सीएम भूपेश बघेल, पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, पीसीसी चीफ दीपक बैज लगातार जनसंपर्क कर अपने प्रत्याशियों को जिताने खूब पसीना बहायां है। अब देखना बाकी है कि किसकी मेहनत रंग लाती है?
दक्षिण कोसल के लिए सहायक सम्पादक दिलीप साहू की खास रिपोर्ट।
Add Comment