रायपुर लोकसभा सीट: क्या इस बार कांग्रेस सेंध लगा पाएगी?

राज्य की पहली महिला सांसद मिनीमाता रायपुर सीट से ही जीती थी

दिलीप साहू

 

रायपुर लोकसभा सीट पर तीसरे चरण में 7 मई को मतदान होगा। रायपुर लोकसभा सीट काफी महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है। इस सीट पर करीब तीन दशक से भाजपा का कब्जा है। भाजपा ने इस बार सिटिंग एमएलए सुनील सोनी का टिकट काटकर भाजपा के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने राष्ट्रीय सचिव पूर्व विधायक विकास उपाध्याय पर दांव खेला है। 

छत्तीसगढ़ की रायपुर लोकसभा सीट दोनों से मुख्य पार्टियों के लिए काफी महत्व का है। रायपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी है और सबसे बड़ा शहर है। रायपुर लोकसभा सीट 1952 में पहली बार अस्तित्व में आई थी। राज्य की पहली महिला सांसद मिनीमाता रायपुर सीट से ही जीती थी।

उन्होंने सामाजिक न्याय और समानता के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। बता दें कि 1952 से 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। इसके बाद बाकी के कुछ साल को छोडक़र फिर यह भाजपा का गढ़ माने जाने लगी। रायपुर लोकसभा सीट पर 8 बार कांग्रेस का कब्जा रहा। एक बार जनता पार्टी ने बाजी मारी थी।

वहीं अब 8 बार भाजपा के प्रत्याशी इस सीट पर जीत का परचम लहरा चुके हैं। साल 1996 से लेकर 2019 तक इस सीट पर लगातार भाजपा का कब्जा रहा। रमेश बैस लगाार जीतते रहे हैं। बैस 1996 से 2014 तक लगातार सांसद रहे। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सुनील कुमार सोनी ने जीत दर्ज की। सुनील कुमार सोनी ने कांग्रेस के प्रमोद दुबे को हराया था।

यहां से मौजूदा सासंद भारतीय जनता पार्टी के सुनील कुमार सोनी हैं। वहीं इस बार भाजपा ने कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल को यहां से प्रत्याशी बनाया है। उधर, कांग्रेस ने इस सीट पर पूर्व विधायक विकास उपाध्याय को टिकट दिया है। 

रायपुर लोकसभा सीट में सबसे ज्यादा 23 लाख 42 हजार 827 मतदाता हैं। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 11 लाख 73 हजार 167 है। वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 11 लाख 69 हजार 358 हैं। साथ ही 302 थर्ड जेंडर मतदाता हैं। 

रायपुर लोकसभा सीट

कुल मतदाता - 2342827
पुरुष मतदाता - 1173167
महिला मतदाता - 1169358
थर्ड जेंडर मतदाता - 302

रायपुर लोकसभा में 2385 मतदान केंद्र बनाएं गए हैं। सभी मतदान केन्द्रों पर सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान होगा। रायपुर लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की कुल आठ सीटें आती हैं। इन सीटों में बलौदा बाजार, भाटापारा, धरसींवा, रायपुर ग्रामीण, रायपुर शहर पश्चिम, रायपुर शहर उत्तर, रायपुर शहर दक्षिण, आरंग और अभनपुर शामिल हैं। इनमें से भाटापारा में कांग्रेस के विधायक हैं। भाटापारा को छोडक़र शेष सातों सीटों पर भाजपा का कब्जा है। रायपुर लोकसभा सीट पर इस बार 38 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें से प्रमुख राजनीतिक दलों के अलावा क्षेत्रीय दल भी शामिल हैं।

साथ ही 20 स्वतंत्र उम्मीदवार भी इस बार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। रायपुर लोकसभा क्षेत्र के प्रमुख उम्मीदवारों पर नजर डाले-
बृजमोहन अग्रवाल - भाजपा
विकास उपाध्याय - कांग्रेस
ममता रानी साहू - बसपा
अभिषेक तिवारी - आप सबकी अपनी पार्टी
पीतांबर जांगड़े - आजाद समाज पार्टी (कांशीराम)
यशुतोष लहरे - आंबेडकराईट पार्टी ऑफ इंडिया 
भंजन जांगड़े - भारतीय बहुजन कांग्रेस
दयाशंकर निषाद - भारतीय शक्ति चेतना पार्टी 
मो. अमीन - भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा
नीरज सैनी - धूम सेना
लाल बहादुर यादव - गोंडवाना गणतंत्र पार्टी 
सुरेश कुमार नेताम - हमर राज पार्टी 
लखमू राम टंडन - राष्ट्रीय जनसभा पार्टी
हीरानंद नागवानी - रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया 
अनिल महोबिया - राइट टू रिकॉल पार्टी
सविता शैलेंद्र बंजारे - शक्ति सेना (भारत देश)
विश्वजीत हरोड़े - सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया 
पीलाराम अनंत - सुंदर समाज पार्टी के अलावा 20 स्वतंत्र उम्मीदवार शामिल हैं।

रायपुर लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने सामान्य वर्ग के प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार रायपुर लोकसभा सीट पर कुर्मी, साहू और सतनामी वोटर मिलकर सांसद चुनते हैं। यही वजह है कि यहां भाजपा के प्रत्याशी रमेश बैस सात बार रायपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद रहे हैं। बैस कुर्मी समाज से हैं।

पिछली बार 2019 में भाजपा ने ओबीसी समाज के सुनील सोनी को प्रत्याशी बनाया था और वह चुनाव भी जीते हैं। इस बार भाजपा ने पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को टिकट दी है, जो सामान्य श्रेणी से आते हैं। वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट पर ब्राह्मण समाज के विकास उपाध्याय को मैदान में उतारा है। इस सीट पर इसके पहले भी ब्राह्मण समाज के विद्याचरण शुक्ल और केयूर भूषण रायपुर के सांसद रहे हैं।

बहरहाल  रायपुर लोकसभा सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी के बृजमोहन अग्रवाल और कांग्रेस के विकास उपाध्याय के बीच नजऱ आ रहा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के नेता भीषण गर्मी में भी प्रचार - प्रसार कर खूब पसीना बहा रहें हैं। भाजपा जहां मोदी की गारंटी और मोदी की चेहरे पर चुनाव लड़ रही है, तो कांग्रेस ने अपनी न्याय पत्र की गारंटी पर फोकस कर रखा है। अब जनता तय करेगी कि किसकी गारंटी कितना कारगर है?

दक्षिण कोसल के सहायक सम्पादक दिलीप साहू की रिपोर्ट। 


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