12 डिस्टलरी श्रमिकों की खदान के गहरे गड्ढे में बस सहित गिरने से मौत

छत्तीसगढ़ डिस्टलरी मालिक और शासन प्रशासन पर लगे गंभीर आरोप

दक्षिण कोसल टीम

 

ये सभी श्रमिक कुम्हारी डिस्टलरी में कार्यरत थे जोकि कंपनी के बस से भिलाई से आना - जाना करते थे। मोर्चा ने इस गंभीर दुर्घटना के लिए सीधे तौर पर कुम्हारी डिस्टलरी प्रबंधन, प्रशासन और राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। बताया जा रहा है कि इस तरह की दुर्घटना पहले भी हो चुकी है लेकिन सरकार व प्रशासन ने सबक नहीं लिया है। 

पुलिस द्वारा जारी मृतक श्रमिकों की सूची

1 शान्तिबाई देवांगन (60 वर्ष) महामाया चौक कुम्हारी, 2 सत्याबाई निषाद (57) वर्ष रामनगर कुम्हारी, 3 राजूराम (49 वर्ष) केम्प-2, भिलाई, 4 पुष्पादेवी पटेल (58 वर्ष) जोन 3 खुर्सीपार, 5 कमलेश देशलहरे (35 वर्ष) सडक़ 28 सेक्टर 4 भिलाई, 6 भीखूभाई पटेल (63 वर्ष) सेक्टर  2 भिलाई, 7 परमानंद तिवारी (58 वर्ष) चरौदा, 8 त्रिभुवन पाण्डेय (55 वर्ष) रिसाली भिलाई, 9 बिहारी यादव (60 वर्ष) शास्त्रीनगर, भिलाई, 10 मनोज कुमार (43 वर्ष) भिलाई-3, 11 अमीतसिन्हा (40 वर्ष) मोहन नगर, दुर्ग, 12 कृष्णा साहू (45 वर्ष) खुर्सीपार, भिलाई। 

श्रमिकों की मौत की संख्या को लेकर विवाद

श्रमिकों की मौत की संख्या को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। श्रमिक नेता शेख अंसार ने गन्नूपटेला, छगनपाल के हवाले से कौशिल्याबाई निषाद (50 वर्ष) कुम्हारी, 2 गुरमीत सिंह 3 दीपक पटेल, 4 उपेंद्र यादव की मौत होना दिखाया है और उनके अनुसार लापता श्रमिकों में त्रिभुवन पाण्डेय, अमित सिन्हा और कृष्णा साहू की जानकारी हम पुलिस द्वारा जारी सूची में हम देख सकते हैं। 

बताया जा रहा है कि अमानक सडक़ के दायें - बाएं 40 - 50 फीट गहरे मौत की खाई बनी पत्थर खदानें हैं। जिला प्रशासन और खनिज विभाग से पूछा जाना चाहिए कि पत्थर खदान किस ठेकेदार को लीज पर दी गई थी। यदि राजनीतिक संरक्षण नहीं है तो वह कैसे बिना घेरा लगाए छोडक़र जा सकता है। श्रम विभाग इस जिम्मेदारी से कतई मुक्त नहीं हो सकता क्योंकि उसकी लापरवाही से ही ये जाने गई है।

श्रम विभाग यदि सजग और चैतन्य होता तो कारखाना अधिनियम 1948 के अधीन 40 वर्ष पुरानी शराब कारखाने में श्रमिकों के आवागमन के लिए सडक़ बनवा सकते थे। नैतिक जिम्मेदारी तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की भी बनती है, जो कई वर्षो तक इस क्षेत्र का विधायक के नाते प्रतिनिधित्व किया हैं। बेकसूर मजदूरों के बहे खून से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कैसे बच सकते हैं।

सम्पूर्ण देश में लाखों किलोमीटर ‘प्रधानमंत्री सडक़ योजना’ के तहत सडक़ें बनाई जा रही है, ऐसा ढिंढोरा तो सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा खूब पीटा जा रहा है, क्या उन्हें दिखाई नही दिया कि जीई रोड से छत्तीसगढ़ डिस्टलरी तक पहुंच मार्ग क्यों नही बनाया गया ?  शेख अंसार ने कहा है कि इन बेकसूर मजदूरों के अकाल मौत का मुख्य अभियुक्त नियोजक छत्तीसगढ़ डिस्टलरी कुम्हारी है। हमारे देश के फौजदारी दफाओं के अनुसार शेष विभागों के प्रमुखों को सह - अभियुक्त बनाया जाना चाहिए।

श्रमिक संगठनों की जांच दल ने गिनाई खामियां

जांच टीम ने पाया कि रास्ते के दोनों तरफ 25 फीट गहरी खदान है किंतु केडिया प्रबंधन ने इसकी सुध नहीं ली। इसके पूर्व खपरी नाला में भी श्रमिकों को ले जाने वाले वाहन से दुर्घटना हूई थी जिसमें तीन श्रमिकों की मौत हो गई थी। कंपनी में लगभग 1500 श्रमिक कार्यरत है जिसमें 500 श्रमिक रिकार्ड मे हैं और 1000 से अधिक श्रमिक बॉटलिंग विभाग मे हैं जो कंपनी के रिकॉर्ड में नहीं हैं, उन श्रमिकों से प्रतिदिन 12 घण्टे कार्य लिया जाता हैं और 250 रुपए मजदूरी दी जा रहीं हैं,  इन श्रमिकों को मैटाडोर व अन्य करीब 40 वाहनों से असुरक्षित तरीके से प्रतिदिन लाना ले जाना किया जाता हैं, शासन के विभागों के मिलीभगत के करण श्रम कानून व सुरक्षा नियमों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है।

जांच दल की मांग

श्रमिकों की सभी जांच टीम ने मांग की है कि मृतक श्रमिकों को 50 लाख रुपया मुआवजा, आश्रितों को स्थाई शासकीय नौकरी, घायल श्रमिकों का उच्च स्तरीय इलाज कर उचित मुआवजा तथा दुर्घटना की उच्च स्तरीय जांच कर केडिया प्रबंधक पर एफआईआर दर्ज करने की मांग रखी है। जांच दल ने यह भी मांग की हैं कि दोषी लोगों पर जल्दी  से जल्द सख्त कार्रवाई कर कंपनी में श्रम कानून व सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन कराया जाए। साथ ही कंपनी के आने जाने वाले रास्तों को तत्काल दुरुस्त कर प्रकाश की व्यवस्था किया जाए।

बहरहाल मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति ने मृतकों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित किया है। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा और ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल आफ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू) की संयुक्त जांच टीम ने घटनास्थल का मुआयना किया, कंपनी के श्रमिकों तथा स्थानीय लोगों से बातचीत की। जांच टीम में भीमराव बागड़े, जनक लाल ठाकुर, सुखलाल साहू, पुनाराम साहू, भोज राम साहू, मंगलूराम साहू और कलादास डहरिया भी शामिल थे।


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