आदिवासी युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म, तेजाब डालकर हुई जान से मारने की कोशिश
पीडि़ता जूझ रही है जिंदगी और मौत के बीच
सुशान्त कुमारपिछले साल लगभग 22 अक्टूबर, 2023 को एक आदिवासी युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर तेजाब से जलाकर मार डालने की कोशिश होती है। उसके चार माह बाद एक वेब पत्रिका में खबर प्रकाशन के बाद इंडियन ऑयल के जाने माने अधिकारी और आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता जो आदिवासियों के बीच एक दशक से अधिक समय से कार्यरत हैं की नजर इस खबर पर पड़ती है और उनके पहलकदमी पर शंभू सेना जिसके वह संरक्षक हैं शासन-प्रशासन और स्थानीय राजनीति से निपट कर बलात्कार पीडि़ता को न्याय के साथ उसके जीवन रक्षा के लिए संघर्ष करते हुए निजी कालडा अस्पताल में उसकी समुचित चिकित्सा और न्याय के लिए कदम उठाते हैं।

इस बीच कलेक्टर का हवाला देते हुए सीएमओ और विजयसिंह पोया डीएमएफ से पीडि़ता के इलाज करवाने के लिए दबाव बनाते हैं। खबर लिखे जाने तक पीडि़ता को अब तक उचित न्याय और समुचित इलाज नहीं मिल पाया है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति के नाम पत्र में दर्ज है कि पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट से बड़ा हो गया है उसने अपने आवेदन में लिखा बताया जा रहा है कि पीडि़ता धारा 164 का कथन नहीं देना चाहती हैं और उसके फर्जी हस्ताक्षर बना लिए हैं।
इसी प्रकार प्रेगनेंसी टेस्ट पर भी फर्जी हस्ताक्षर बना दिए गए हैं। धारा 91 के नोटिस पर हस्ताक्षर भी जांच योग्य है। आरोप यह भी है कि संबंधित पुलिस अधिकारियों ने अपराधियों के अनुसार तथा आरोपियों को बचाने के उद्देश्य से प्रकरण तैयार किया है।
राष्ट्रपति को लिखे पत्र में पीडि़ता ने कहा है कि अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 4 का घोर उल्लंघन किया गया है। संबंधित अधिकारी द्वारा अपने कर्तव्यों की घोर उपेक्षा की गई है उक्त प्रकरण में 294, 506, 323, 307 तथा 366 जैसे धाराओं को जोड़ा जाना बाकी है।
क्या है पूरी घटना
आदिवासी युवती ग्राम बैमा कोदवारी पारा, पोस्ट - बचरा पोड़ी, चौकी बचरा पोड़ी, थाना - बैकुंठपुर जिला कोरिया की निवासी हैं। युवती के साथ दो युवकों ने जिनका नाम मिलेश यादव और बेचेन यादव ने ‘दुर्गा पूजा’ देखाने के नाम से फोन कर घर लेने आए और ले गए। कुछ दूर गनपतपुर जंगल में जबरदस्ती ले जाकर सामूहिक दुष्कर्म कर शरीर में तेजाब डालकर बेहोश कर दिए।
जब होश आई तो पीडि़त युवती किसी प्रकार दर्द से कराहती हुई रोड किनारे एक घर में पहुंची और दरवाजा खोलने के लिए बोली और दरवाजा खोला गया। हालात गंभीर थी और रोते हुए अपनी आपबीती बताई, इसके बाद घर के परिजनों को सूचना दी गई सूचना मिलते ही घरवाले आए और 108 एम्बुलेंश को फोन कर जिला चिकित्सालय बैकुंठपुर में ले गए। जहां उनका इलाज चल रहा था।
10 से 15 दिन पीडि़त युवती को जिला चिकित्सालय में उपचार किया गया जहां ठीक नहीं होने पर युवती को परिजनों के द्वारा थकहार कर घर लाया गया। पीडि़ता की मां को आंख से कम दिखाई देता है।
परिवार की माली हालात और खऱाब आर्थिक स्थिति होने के कारण सही ढंग से इलाज नहीं होने तथा शासन प्रशासन द्वारा कोई सहायता नहीं मिलने से पीडि़त युवती जिंदगी और मौत के बीच जीवन जीने जूझ रही है, तभी वेब पत्रिका में प्रकाशित समाचार के माध्यम से आदिवासी संगठन ‘शंभू शक्ति सेना’ के संस्थापक आरएस मार्को (महाप्रबंधक इंडियन ऑयल) को पता चला।
उन्होंने शंभू शक्ति सेना के जिला अध्यक्ष माही उईके को घटना की संज्ञान लेने भेजते हैं और उसका वीडियो बनाकर इलाज की प्रक्रिया को पूरा करते हैं, इससे पूर्व 20 फरवरी को अपने संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ पीडि़ता के घर पहुंचे और घटना का संक्षिप्त जानकारी लिया जहां पीडि़ता की स्थिति काफी गंभीर होना बताया।
समुचित इलाज के लिए जद्दोजहद
उसके बाद शंभू सेना के द्वारा बनाए गए वीडियो को गंभीरता से लेते हुए वीडियो के माध्यम से उन्होंने अपने संबंधितों तथा अपनी डॉक्टर पत्नी से सलाह मशवीरा किया और जानकारों ने ‘डॉक्टर कालडा अस्पताल’ में इसका इलाज होना बताया। उन्होंने डॉक्टर कालडा को अपने मोबाइल से मैसेजे किया कि ‘काइंडली कन्फर्म, एंड सेव ऑफ दी गर्ल।’ उसके बाद डॉक्टर ने दूसरे दिन अधिकारी मार्को से बातचीत कर बताया कि ‘बहुत देर हो चुकी है-
मामला बहुत गंभीर है और मरीज कमजोर भी है, उसके शरीर के मांस गल रहे हैं और उस पर मक्खियां भिनभिना रही है। बच्चे को बचाने की कोशिश हो सकती है। जल्दी समुचित इलाज के लिए अस्पताल लाया जाए।’ मार्को ने डॉक्टर को बताया कि मैंने पीडि़त बच्ची से पूछा कि खाना खाती है या नहीं, तो वह कहती है, हां और टट्टी पेसाब होता है या नहीं तो उन्होंने कहा, हां इससे उन्होंने अंदाजा लगाया कि बच्ची को बचाया जा सकता है।
युवती की गंभीर हालत को देखते हुए आरएस मार्को व शंभू सेना के कार्यकर्ताओं ने तत्काल चिकित्सा कराने को लेकर विचार विमर्श किया और 21 फरवरी को लगभग तीन माह बाद ‘शंभू शक्ति सेना संगठन’ प्राईवेट एंबुलेंस का इंतजाम कर पीडि़ता को रायपुर के कालडा हॉस्पिटल ले जाने की व्यवस्था करते हैं, तभी अचानक ही शासन प्रशासन का हवाला देते हुए विजय सिंह पोया (ठाकुर) का अवतरण होता है, ने कहा हमारे एम्बुलेंस में जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि कलक्टर से बात हुई है बचाना है कितना भी खर्चा हो जाए। कलेक्टर ने कहा है कि डीएमएफ फंड से इलाज करवाएंगे। उन्होंने मार्को के एंबुलेंस को रोकते हुए कहा कि बैकुंठपुर का सीएमओ आरए सेंगर एंबुलेंस भेज रहे हैं। लेकिन अंतत: पोया साथ जाने को तैयार नहीं हुआ और बहन की मृत्यु हो गई कह कर छुट्टी पा लिया।
इस तरह उनके एंबुलेंस को आने में दिन के 2 बजे से रात के 10 बज गए। फिर मार्को ने सीएमओ से बात किया और साथ ही पेपर भी देने को कहा। वहां सीएमओ ने कलक्टर का हवाला देते हुए ‘एम्स अस्पताल’ में भेजना बताया फिर 10 बजे बैकुंठपुर लाया गया। यह भी बताया जा रहा है कि इस बीच रात तहसीलदार और दो पुलिस वाले भी घटना स्थल में गए थे और डर का माहौल बना रहे थे।
तीन महीने बाद विजय सिंह पोया और सीएमओ का सूचना मिलते ही हरकत में आना शक पैदा करता है। बहरहाल बहुत दबाव के बाद तत्काल चिकित्सा मुहैया कराने की बात पर एम्बुलेंस सेवा भेजकर पीडि़त युवती को जिला चिकित्सालय बैकुंठपुर ले जाया गया। जहां रात में ही एम्स अस्पताल, रायपुर के लिए रेफर कर दिया गया। सुबह कुछ ट्रीटमेंट कर एम्स अस्पताल, रायपुर में बर्न यूनिट की उपचार व्यवस्था न होने से पीडि़ता को डीकेएस अस्पताल के लिए रेफर लेटर थमा दिया गया।
इस बीच ‘शंभू शक्ति सेना’ समुचित इलाज के लिए दोबारा एंबुलेंस की व्यवस्था करते हैं और अधिकारी और आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता मार्को के सूझबूझ से राकेश सांडिल्य, शंभू शक्ति सेना (प्रदेश अध्यक्ष, छत्तीसगढ़) और माही उईके, शंभू शक्ति सेना (जिला अध्यक्ष, कोरिया) के द्वारा पीडि़ता को कालडा अस्पताल में ले जाकर भर्ती कराया जाता है।
इस तरह पीडि़ता का उपचार जारी है डाक्टर ने बुलेटिन जारी करते हुए कहा है कि शारीरिक हालात काफी ज्यादा खऱाब है और इलाज के बाद ठीक होने में महीनों लग सकते हैं। शंभू शक्ति सेना छत्तीसगढ़ ने सरकार और समस्त दानवीरों से पीडि़त युवती के इलाज के लिए दान देने के लिए अपील की है।
घटना पर आदिवासी समाज और नेताओं की प्रतिक्रिया
खबर यह भी है कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने आदिवासी युवती के साथ हुए सामूहिक बलात्कार को लेकर धरना प्रदर्शन किया है। छत्तीसगढ़ गोंडवाना गोंड़ सभा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। वेब पत्रिका गोंडवाना उदय तथा जीसीजी न्यूज हेड व संस्थापक डॉ. एलएस उदय सिंह ने आदिवासियों की संरक्षक राष्ट्रपति और राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा है कि 19 वर्षीया आदिवासी युवती को बेहोश कर सामूहिक दुष्कर्म कर शरीर में तेजाब डालने जैसे कायराना हरकत करने वालों को जेल भेजने की घटना न्यायोचित है।
डॉ. एलएस उदय सिंह ने कहा है कि बुरी तरह से जख्मी पीडि़ता जो इलाज के अभाव में जीवन और मौत से संघर्ष कर रही है अपने आंखों से इस घटना को देखा है, जिसका दर्द को जो पीडि़ता भोग रही है, उसका कठोर शब्दों में निंदा करता हूं। उन्होंने यह भी कहा कि यह पांचवीं अनुसूचित इलाका है, जहां आदिवासी समुदाय की नियंत्रण और प्रशासन की स्वायतता होती है, लेकिन ऐसा कहने से कुछ लोगों के पेट में दर्द हो उठता है। यही सच है।
सिंह ने कहा है कि इस प्रकार की असंवेदनशीलता की घटना कहीं भी घटित हो, दबना नहीं चाहिए। उन्होंने राष्ट्रपति और राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में इस प्रकार यह अति असंवेदनशील मामला पहली बार प्रकाश में आया है।
घटना में पीडि़ता के साथ सामूहिक दुष्कर्म करके तेजाब डाला गया है और जिम्मेदार पुलिस अधिकारी तीन माह बाद भी एफआईआर रिपोर्ट की एक टुकड़ा पीडि़ता को न दें, उल्टे समझौता के लिए दबाव बनाए हास्यास्पद है। लगता है इस घटना में आदिवासी पीडि़त युवती के साथ जिम्मेदार प्रशासक और नियंत्रक धृतराष्ट्र जैसे आंखों में पट्टी बांध कर मामला को टटोल रहे हैं।
अज्ञानता ही औरों के लिए सबसे बड़ी ताकत है
उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भोले - भाले आदिवासी समुदाय के हितों की संरक्षण और नियंत्रण की स्थिति यह है कि आज आदिवासी समुदाय के लोग बोलते नहीं, यही सबसे बड़ी उनका गुनाह है। और उनका अज्ञानता ही औरों के लिए सबसे बड़ी ताकत है। जो एक चुनौती से कम नहीं है।
इस मुद्दे पर शासन - प्रशासन सहित समाज प्रमुखों का सबसे बड़ी जिम्मेदारी होनी चाहिए। और कहा है कि हम सबकी जिम्मेदारी है कि पीडि़त युवती को न्याय और समुचित मुफ्त इलाज मिले।
बहरहाल शंभू सेना के कार्यकर्ताओं ने समाज में मिसाल पेश करते हुए पीडि़ता की जान बचाने पीडि़ता को रातों रात कोरिया के जंगलों से निकालकर कालडा अस्पताल, रायपुर में शिफ्ट किया हैं, जहां पीडि़ता शीघ्र स्वास्थ्य और न्याय से जूझ रही है।
Add Comment