हाईकोर्ट के आदेश के बाद 17 फरवरी को रायपुर प्रेस क्लब चुनाव

प्रफुल्ल ठाकुर ने लगाई हस्तक्षेप याचिका

सुशान्त कुमार

 

भड़ास के अनुसार हाईकोर्ट के आदेश के बाद रायपुर प्रेस क्लब के चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। चुनाव की मांग को लेकर प्रेस क्लब के पूर्व उपाध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर ने हस्तक्षेप याचिका दायर की गई थी।

इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस गौतम भादुड़ी ने पंजीयक फर्म एंड सोसाइटी को चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने पंजीयक फर्म एंड सोसाइटी को निर्देश देते हुए कहा गया है कि मतदाता सूची का परीक्षण कराने के उपरांत रायपुर प्रेस क्लब का चुनाव सम्पन्न कराएं।

रायपुर प्रेस क्लब के संविधान के मुताबिक, चुनाव उपरांत पदाधिकारियों का कार्यकाल एक वर्ष का होता है। अंतिम चुनाव जून 2018 में कराए गए थे। जिसके बाद से अब तक चुनाव नहीं हुए हैं। प्रेस क्लब मतदाता सूची के परीक्षण की मांग को लेकर प्रेस क्लब सदस्य डी. बैरागी ने 2019 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके बाद कोर्ट ने मतदाता सूची परीक्षण के निर्देश रायपुर प्रेस क्लब को दिए थे।

रायपुर प्रेस क्लब ने मतदाता सूची परीक्षण के लिए एक कमेटी बनाई थी, लेकिन परीक्षण के काम नहीं हो सका। जिसके बाद 2020 में प्रेस क्लब के एक अन्य सदस्य की ओर से चुनाव की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जल्द से जल्द चुनाव कराने के निर्देश दिए थे।

पंजीयक फर्म एंड सोसाइटी और रायपुर कलेक्टर की ओर से चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई थी, लेकिन इसी बीच डी. बैरागी की ओर से फिर से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी गई कि मतदाता सूची के परीक्षण के बगैर चुनाव कैसे कराए जा सकते हैं? जिसके बाद कोर्ट ने चुनाव पर फिर रोक लगा दी।

इसके बाद चुनाव की मांग को लेकर रायपुर प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर ने पहले रिट पिटीशन और फिर हस्तक्षेप याचिका हाईकोर्ट में दायर की। हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई 8 दिसंबर को जस्टिस गौतम भादुड़ी की बेंच में हुई।

याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मतदाता सूची के परीक्षण के उपरांत चुनाव करवाने के निर्देश पंजीयक फर्म एंड सोसाइटी को दिए हैं। कोर्ट ने इसकी सूचना नवभारत और दैनिक भास्कर अखबार में प्रकाशित करने के भी निर्देश दिए हैं, ताकि सभी सदस्यों को मतदाता सूची परीक्षण और चुनाव सम्बन्धी कार्यवाही की जानकारी हो सके।

बता दें कि चुनाव कराने के लिए प्रयास कर रहे कई पदाधिकारियों में इस आदेश के आ जाने के बाद से उत्साह देखने को मिला।


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