नंदकुमार बघेल केवल बात करते थे, काम कुछ भी नहीं करते थे

पहले पुत्र भूपेश बघेल की कुर्सी बनी रहे व कांग्रेस की सत्ता बनी रहे

प्रभाकर ग्वाल

 

भारत की जनसंख्या नन्दकुमार बघेल को वजनी लगती थी अर्थात समस्या लगती थी, ऐसे छोटी सोच रखते थे, एक जगदलपुर जेल मुलाकात में, इस बात पर उनकी राय बाहर आई थी।

मैं उनके सहयोगी के रूप में जगदलपुर जेल गया था। निजीकरण, आरक्षण, प्रमोशन पर आरक्षण, नक्सली हिंसा समाप्ति आदि गम्भीर समस्याओं को समाधन नहीं करना चाहते थे, केवल एक सूत्रीय कार्य कर रहे थे कि देश, समाज दूसरे स्थान पर पहले पुत्र भूपेश बघेल की कुर्सी बनी रहे व कांग्रेस की सत्ता बनी रहे। 

पिछड़ा वर्ग कार्ड के आड़ में राहुल गांधी के जगह भूपेश बघेल को प्रधानमंत्री बनाने की अंदरूनी रणनीति धीरे धीरे उजागर हो रही थी। तत्कालीन असंवैधानिक प्रमोशन पर चाहते तो तत्काल रोक लगा कर संविधान सम्मत वर्गीय समानता आधारित प्रमोशन देने के लिए बाध्य कर सकते थे, पर किए नहीं। 

आखिरकार सबने भाजपा के मौत से बचने के लिए ही कांग्रेस को चुने थे, जैसे भाजपा के शासनकाल में लूट रहे थे, मर रहे थे, वैसे कांग्रेस के शासनकाल में होता रहा ये कौन सी नई बात हुई? हमेशा हमारे हिस्से में मौत व बर्बादी ही क्यों आ रही हैं? भूपेश बघेल के पिता नन्दकुमार बघेल की अभी हाल ही में मृत्यु हो चुकी हैं, उनकी मृत्यु के बाद किसी ने भी नन्दकुमार बघेल को कोई खास जगह, सम्मान समाज में नहीं दिया।

भूपेश बघेल अपनी घमंड से सत्ता से बाहर हो चुके हैं। पूंजीपतियों के डेयरी के गोबर व गौमूत्र खरीद कर सत्ता में आने का स्वप्न देख रहे थे। अर्थात कांग्रेस ने फिर से भाजपा नरभक्षी भेड़ियों के सामने पूरे छत्तीसगड़ियों को झोंक दिए हैं और चुपचाप बैठ गए हैं और हत्याएं, जंगल कटाई, शासकीय धन की लूट आदि खूब चल रही है।

हसदेव बचाओ आंदोलन के सर्वदलीय बैठक में भी कांग्रेस के लोग नहीं आए। पूरे भारत के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, आंतरिक सुरक्षा, चीन से भारत के खतरे, सेना व सुरक्षा बलों के नुकसान आदि सभी परिस्थितियों को देखते हुए सब प्रण कर लें कि चाहे कुछ भी क्यों न हो जाए, भाजपा व भाजपा गठबंधन को वोट न दें।

लोगों को भी समझाए कि वे भी भाजपा व भाजपा गठबंधन को वोट न दें, तभी सारे अच्छे कामों की शुरुआत होगी।          

इस लेख को पूर्व सीबीआई न्यायाधीश प्रभाकर ग्वाल ने दो साल पहले लिखा था। उसका संपादित अंश सिर्फ यहां।


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