कलाकृति के जादू के पीछे तीन चीज़ों का अहम रोल?
बेस, मटेरियल, स्किल
रूपम गंगवारमान लीजिए कलाकार बहुत स्किल्ड है पर कलर मटेरियल अच्छे नहीं है तो चित्र उतना प्रभावी नहीं होगा। बेस और मटेरियल टॉप क्वालिटी का है पर यूज़ करने वाले में ही स्किल नहीं है तो कितना भी टॉप क्वालिटी मटेरियल हो, चित्र अच्छा नहीं बनेगा। हालांकि एक बारगी स्किल्ड कलाकार खऱाब सतह और खऱाब मटेरियल से भी अच्छा प्रभाव दर्शाने में सफ़ल हो जाएगा, पर जादू तो तभी क्रिएट होता है जब तीनों ही चीज़ों का ही संयोजन श्रेष्ठ हो।

आप जब भी चमत्कृत करने वाले सौंदर्य से परिपूर्ण एकदम सजीव कोई कलाकृति देखते हैं तो उसके जादू के पीछे तीन चीज़ों का अहम रोल होता है-
1. बेस
2. मटेरियल
3. स्किल
1. बेस यानी धरातल, यानी जिस सतह कागज़, कैनवस, दीवार, लकड़ी का बोर्ड आदि पर चित्र बनाया जाना है, उसकी क्वालिटी क्या है? यह सतह चिकनी, खुरदुरी, दानेदार, रेशेदार कैसी भी हो सकती है पर चित्र की मांग के अनुरूप अगर है तो कलाकृति श्रेष्ठ बनेगी।
2. मटेरियल यानी कलर, ब्रश आदि। जो भी पिगमेंट्स यूज़ किए जा रहे हैं उनकी क्वालिटी कितनी अच्छी है। ब्रशेज कितने सॉफ्ट, हार्ड, मीडियम हैं। जो चित्र की रिक्वायरमेंट के अनुरूप सॉफ्ट, हार्ड स्ट्रोक्स दे सकें। उचित ब्रशेज़ के इस्तेमाल से चित्र की सुंदरता पर फर्क़ पड़ता है।
3. और आखिर में जो सबसे महत्वपूर्ण है स्किल यानी कौशल। जो भी कलाकार उपर्युक्त दोनों चीज़ें इस्तेमाल कर रहा है उसकी दक्षता कितनी है। उसका रंगों और तूलिका पर कितना अधिकार है कि वह चित्र में इच्छित प्रभाव लाने में सफ़ल हो सके।
नोट - हर पेंटिंग में इन्हीं तीन चीजों का सम्मेलन होता है। एक श्रेष्ठ कलाकृति में इन तीनों का ही उत्तम क्वालिटी का होना आवश्यक है। अगर कोई भी एक चीज़ गड़बड़ होती है तो बनने वाले चित्र के प्रभाव पर असर पड़ता है।
मान लीजिए कलाकार बहुत स्किल्ड है पर कलर मटेरियल अच्छे नहीं है तो चित्र उतना प्रभावी नहीं होगा। बेस और मटेरियल टॉप क्वालिटी का है पर यूज़ करने वाले में ही स्किल नहीं है तो कितना भी टॉप क्वालिटी मटेरियल हो, चित्र अच्छा नहीं बनेगा।
हालांकि एक बारगी स्किल्ड कलाकार खऱाब सतह और खऱाब मटेरियल से भी अच्छा प्रभाव दर्शाने में सफ़ल हो जाएगा, पर जादू तो तभी क्रिएट होता है जब तीनों ही चीज़ों का ही संयोजन श्रेष्ठ हो और देखने वाला कह उठे - वाह क्या बनाया है!
डिस्क्लेमर- पोस्ट के साथ लगा चित्र मेरा नहीं है, यह इसलिए लगाया है कि संज्ञान रहे कि मैं सर्वश्रेष्ठ नहीं हूं। मुझसे भी अच्छा काम करने वाले कलाकार मौजूद हैं। और इस बात के लिए भी मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए कि इस क्वालिटी के वर्क के चार्जेज भी मुझसे ज़्यादा होंगे। और यह कलाकार का हक़ भी है, जब वो दिनों के बजाय अपनी कलाकृति को महीनों का वक्त दे रहा हो।
रूपम गंगवार पेशे से कलाकार और शिक्षिका हैं। और कानपुर, उत्तरप्रदेश में रहती हैं।
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