वयोवृद्ध शिक्षाविद, साहित्यकार बंशीलाल जोशी का निधन

उनके निधन से समाज, शिक्षा व साहित्य बिरादरी में शोक व्याप्त

सुशान्त कुमार

 

उनके अंतिम संस्कार के दौरान पुत्र दिनेश जोशी ने उन्हें मुखाग्नि दी। शोक सभा में प्रदेश के साहित्यकार डा. दादू लाल जोशी, प्रोफेसर जी. पी. रात्रे, दक्षिण कोसल के सम्पादक सुशान्त कुमार, शिक्षक शिव प्रसाद जोशी, बीएस मंडावी, ओमप्रकाश साहू ने कहा कि जोशी का जाना साहित्य, शिक्षकीय जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है। 

वक्ताओं ने शिक्षा, समाज, साहित्य के क्षेत्र में जोशी के योगदान को याद किया। वक्ताओं ने कहा कि जोशी बहुत सरल, सहज सरल तथा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उसको कभी नाराज या क्रोधित होते नहीं देखा गया। समाज और साहित्य के क्षेत्र में वे सदैव सहयोग हेतु तत्पर रहते थे। 84 वर्ष की उम्र में भी वे समाज, शिक्षा, साहित्य और कृषि क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं।

जोशी का जन्म सिंघोला में 15 अगस्त 1940 को हुआ था। उनकी पढ़ाई इंटरमीडियट तक थी। आदिम जाति कल्याण विभाग में उन्होंने शिक्षकीय दायित्व का बखूबी निर्वहन किया। उन्होंने अपने पुत्र दिनेश जोशी और दो पुत्रियों को खूब पढ़ाया-लिखाया। उनके पुत्र भिलाई इस्पात संयंत्र में अधिकारी रहकर सेवानिवृत्त हुए हैं। दोनों पुत्रियां शिक्षिका हैं।

जोशी शिक्षा विभाग से सेवानिवृत होने के बाद पूरी तरह साहित्य एवं समाज सेवा में तल्लीन हो गए। उनकी प्रकाशित कृतियां के अंतर्गत उनके सम्पादन में साल 1998 में ‘डॉ. दादू लाल जोशी का सामाजिक चिंतन’ प्रकाशित कराया था।

साल 2008 में काव्य संग्रह ‘शब्द नहीं भाव ’ प्रकाश में आया। साल 2002 में उनकी संपादित कृति ‘सूर्य कहूं या दीप’ साहित्य जगत में अत्यंत सराहा गया। समाज के मूर्धन्य लोगों के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर आधारित पुस्तकों का लेखन एवं प्रकाशन की योजना वह बनाते रहते थे। 

उनकी रचनाएं सबेरा संकेत, दावा, सत्यध्वज, साकेत स्मारिका में निरंतर प्रकाशित होती रही है। विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं और समाज के कार्यक्रमों में वे सक्रियता के साथ भागीदारी करते रहे थे।

उन्हें 1997 में मध्यप्रदेश राज्य द्वारा सत्यध्वज साहित्यकार प्रतिनिधि सम्मान, 2009 में छत्तीसगढ़ में आदर्श शिक्षक सम्मान, 2011 में ज्योतिबा फुले सम्मान तथा 2012 में सेवानिवृत्त शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया गया था।  

जिला सतनामी सेवा समिति के अध्यक्ष सूर्य कुमार खिलारी ने जोशी के निधन को समाज के लिए अपूर्णीय क्षति बताया है। उन्होंने कहा कि उनके निधन से समाज, शिक्षा व साहित्य बिरादरी में शोक व्याप्त है। 

इस दु:खद घटना पर धनेश पाटिला, रामजी भारती, चैनदास बांधव, सरोजनी बंजारे, हर्षिता स्वामी बघेल, पी.आर. देशलहरा, नेतराम देशलहरा, लोकनाथ भारती, शोभाराम बघेल, देवचंद बंजारे, पी.डी. सोनकर, ने श्रद्धांजलि अर्पित कर संवेदना व्यक्त की है। 


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