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जीओ और जीने दो के उसूल

सुशान्त कुमार

 

हमें इसके लिए ज्यादा दूर जाने की जरूरत भी नहीं है विश्व और भारत के लिए लिखा गया सबसे बड़ा संविधान भारतीय संविधान में मानव कल्याण पर केन्द्रित समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, न्याय और मानव गरिमा को बढ़ावा देने वाला स्वर्णिम सिद्धांतों से हम अपना मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं और सही मायने में एक लोकतांत्रिक देश की स्थापना में अपना योगदान दे सकते हैं।

संविधान में हमारे अस्तित्व को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश दिया है। संविधान की भाग दो नागरिकता के अनुच्छेद'4 समता, 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंगा या जन्मस्थान के आधार पर विभेद  नहीं करेगा, अनुच्छेद 15(3) इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य की स्त्रियों और बालकों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।

मानव कल्याण के लिए अनुच्छेद- 15 (4) इस अनुच्छेद की या अनुच्छेद 29 के खंड (2) की राज्य द्वारा पोषित या राज्य विधि से सहायता पाने वाली किसी शिक्षा संस्था में प्रवेश से किसी भी नागरिक को केवल धर्म, मूलवंश, जाति, भाषा या इनमें से किसी के आधार पर वंचित नहीं किया जाएगा।

कोई बात राज्य को सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए नागरिकों के किन्हीं वर्गों की उन्नति के लिए या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी। 16 लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता, 17 अस्पृश्यता का अंत 18 उपाधियों का अंत करते हुए समानता की गारंटी देती है।

अभिव्यक्ति के हमले पर इस कठिन समय में अनुच्छेद'9 सभी नागरिकों को वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति स्वातंत्रय का, शांतिपूर्वक और निरायुध सम्मेलन का, संगम या संघ बनाने का, भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र अबाध संचरण का, भारत के राजयक्षेत्र के किसी भाग में निवास करने और बस जाने का, कोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार का कारबार करने का अधिकार प्रदान करता है।

जीओ और जीने दो के उसूल को स्थापित करने के लिए अनुच्छेद -21 प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण। 22 कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण संबंधित गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार हमें प्रदान करता है। 

अनुच्छेद-25 धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, 26 धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता, 27 किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लिए करों के संदाय के बारे में स्वतंत्रता, 28 कुछ शिक्षा सस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता, 29 संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार के अंतर्गत अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण संबंधित 30 शिक्षा संथाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार संविधान में निहीत हैं।

अनुच्छेद-46 अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य दुर्बल वर्गों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की अभिवृद्धि। इसके तहत सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से उनकी संरक्षा करेगा।

अनुच्छेद-51 (सी) कार्यपालिका से न्याय पालिका का पृथक्करण करते हुए संगठित लोगों के एक दूसरे से व्यवहारों में अंतरराष्ट्रीय विधि और संधि बाध्यताओं के प्रति आदर बढ़ाने का कार्य करेगा। अनुच्छेद 73 (1)राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से उत्पन्न या संसक्त सभी शंकाओं और विवादों की जांच और विनिश्चय उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाएगा और उसका विनिश्चय अंतिम होगा। 

लोककल्याणकारी बजट कैसा हो? बजट का कितना हस्सा कहां होगा? इसके लिए हमारे नीतिकारों ने कभी भी संविधान को पलटकर नहीं देखा है यहि कारण है कि आजादी के 60 दशक बाद गरीबी, भूखमरी और बेरोजगारी देश की सबसे बड़ी समस्या है। इसके निराकरण के लिए अनुच्छेद 110 धन विधेयक की परिभाषा में कोई विधेयक धन विधेयक समझा जाएगा।

111 विधेयकों पर अनुमति, 112 वार्षिक वित्तीय विवरण, 113 संसद में व्यय संबंधित प्राक्कलनों की प्रक्रिया, 114 अनुच्छेद 113 के अधीन अनुदान किए जाने के पश्चात यथाशक्य निधि, 115 अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान, 116 लेखानुदान, प्रत्यानुदान ओर अपवादानुदानल, 117 वित्त विधेयकों के बारे मं विशेष उपबंध दिए गए हैं।

बजट में निहीत असमानता को हम अनुच्छेद 202 वार्षिक वित्तीय विवरण, 203 व्यय संबंधित विधान मंडल में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया-204 विनियोग विधेयक विधान सभा द्वारा अनुच्छेद 203 के अधीन अनुदान किए जाने के पश्चात यथाशक्य, राज्य की संचित निधित में से दूर कर सकते हैं। अनुच्छेद 253 अंतरराष्ट्रीय करारों को प्रभावी करने के लिए विधान है।

आदिवासी क्षेत्रों के तरक्की के लिए सरकार ने बजट नहीं भेजकर पुलिस, अर्धसैनिक बल और सेना को भेज दिया है जबकि आदिवासियों के हित के लिए अनुच्छेद 244, अनुसूचित क्षेत्रों और जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन 244 (ए ) असम के कुछ जनजाति क्षेत्रों को समाविष्ट करने वाला एक स्वशासी राज्य बनाना और उसके लिए स्थानीय विधान मंडल या मंत्रि परिषद का या दोनों का सृजन 275 (1) ऐसी राशियां, जिनका संसद विधि द्वारा उपबंध करे।

उन राज्यों के राजस्वों में सहायता अनुदान के रूप में प्रत्येक वर्ष भारत की संचित निधि पर भारित होगी जिन राज्यों के व्यापक अधिकार दिए गए हैं जिसमें हम संविधान के अंदर एक और संविधान कह सकते हैं। अगर इसे लागू कर देते हैं तो वहां गरीबी, अशिक्षा, भूखमरी और शोषण का अंत कर सकते हैं। समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व से ही सबका विकास होगा इस ध्येय के साथ लोककल्याणकारी बजट और कार्यों को हाथ में लेने की महती जरूरत है।


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