छत्तीसगढ़ विधान सभा में नए आदिवासी देव विष्णुदेव
आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णुदेव की पंच से मुख्यमंत्री की दूरी के बीच जनादेश
सुशान्त कुमारआदिवासी संस्कृति में देव गुडिय़ों का बड़ा महत्व है। बड़ादेव या फिर बुढ़ादेव। भाजपा को पहले देश में राष्ट्रपति बनाने का अवसर मिला तो आदिवासी समाज की द्रौपदी मुर्मु को राष्ट्रपति के रूप में स्थापित किया। और हम लगातार उनके अपमान को समाचारों में देखते आ रहे हैं, आज छत्तीसगढ़ में भाजपा आदिवासी समाज के एक वरिष्ठ नेता विष्णुदेव साय को भाजपा ने छत्तीसगढ़ में पहले मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित किया है। देखना बाकी है क्या विष्णु देव साय आदिवासियों का मुक्तिदाता साबित हो सकेंगे? इससे पूर्व कांग्रेस से अजीत जोगी छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज से पहले मुख्यमंत्री हुआ करते थे।

बताया जा रहा है कि अगले लोकसभा की तैयारी और आदिवासियों में सत्ता विरोधी लहर को देखते हुए इस कदम को उठाया गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का प्रदेश में बड़ा नाम है। वे आदिवासी समाज के बड़े नेता माने जाते हैं। विष्णुदेव साय चार बार सांसद, दो बार विधायक, केंद्रीय राज्य मंत्री और दो बार प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के नाम पर 3 दिसम्बर से जारी सस्पेंस आज खत्म हो गया। भाजपा ने छत्तीसगढ़ सूबे में मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने मुख्यमंत्री के नाम पर विष्णुदेव साय के नाम पर मुहर लगाई है। बताया जा रहा है कि रायपुर स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय में विधायक दल की काफी लंबी बैठक चली।
भाजपा के पर्यवेक्षक केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, सर्वानंद सोनोवाल, मनसुख मांडविया, ओम माथुर और दुष्यंत गौतम सहित नवनिर्वाचित विधायक, पदाधिकारीगणों ने रायपुर में नव निर्वाचित विधायकों के साथ बैठक की, जिसमें विष्णुदेव साय के नाम पर अंतिम फैसला लिया गया।
विष्णुदेव साय कुनकुरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। साय ने 25541 वोटों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी यूडी मिंज को हराया है। उनके पास संगठन में काम करने का लंबा अनुभव भी है। जानकार कहते हैं कि वे लाबीगिरी नहीं जानते हैं। सियासी गलियारों में पहले से ही चर्चा थी कि विष्णुदेव साय मुख्यमंत्री पद का चेहरा हो सकते हैं। क्योंकि विष्णुदेव साय साफ छवि के नेता के रूप में भी जाने जाते हैं। वहीं प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाए जाने के बाद भी वे पार्टी से लगातार जुड़े रहे। विष्णुदेव साय साल 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद उन्हें केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया था।
1990 में लड़ा था पहला विधानसभा चुनाव
राज्य में भाजपा की जीत के बाद लंबे समय से मुख्यमंत्री के चेहरे के लिए जारी मंथन रविवार को थम गया। पार्टी ने विष्णुदेव साय को राज्य की कमान सौंप दी है। साय कुनकुरी विधानसभा सीट से विधायक हैं। विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के अपने सबसे निकटतम प्रतिद्वंदी यूडी मिंज को 25541 वोटों के अंतर से मात दी है। विष्णुदेव साय को चुनाव में 87604 वोट मिले हैं।
संघ के करीबी नेताओं में भी होती है साय की गिनती
साय की गिनती संघ के करीबी नेताओं में भी होती है। वह पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेहद करीबी भी माने जाते हैं। साल 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद उन्हें केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया था। मालूम हो कि राज्य में अजित जोगी के बाद कोई भी दूसरा आदिवासी समुदाय से मुख्यमंत्री नहीं बना था। जनसंघ के समय बड़े पिताजी नरहरि प्रसाद साय साल 1962 - 67 तक विधायक विधानसभा क्षेत्र लैलूंगा एवं साल 1977 - 1979 तक सांसद, लोकसभा जनता दल व केन्द्रीय संचार राज्यमंत्री रहे हैं। उनके बड़े पिताजी केदारनाथ साय जनसंघ के समय साल 1867'972 तक विधायक विधानसभा क्षेत्र तपकरा का प्रतिनिधित्व किए। दादाजी सरदार बुधनाथ साय साल 1947 - 1952 तक विधायक,मनोनित हुए थे।
किसान परिवार में हुआ था जन्म
विष्णु देव साय का जन्म 21 फरवरी 1964 को जशपुर जिले के बगिया गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता स्वर्गीय रामप्रसाद साय किसान थे। उनकी माता का नाम जसमनी देवी है। साय का विवाह 27 मई, 1991 में कौशल्या साय से हुआ। उनका एक पुत्र और दो पुत्रियां हैं। उन्होंने हायर सेकण्डरी तक की पढ़ाई कुनकुरी स्थित लोयोला हायर सेकेंडरी स्कूल से की है। साय का राजनीतिक कैरियर साल 1989 में सरपंच के तौर पर शुरू हुआ। जहां वे बगिया गांव के निर्विरोध सरपंच चुने गए।
सरपंच के तौर पर शुरू किया था अपना राजनीतिक कॅरियर
छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय साल 1990 में पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिलक की, जिसके बाद वे 1998 तक विधायक रहे। वहीं 1999 में उन्होंने पहला लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। विष्णुदेव साय साल 2004 में फिर से दोबारा सांसद चुने गए। इसके बाद 2009 और 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद बने। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें इस्पात और खनन मंत्रालय का दायित्व सौंपा गया। वे कांग्रेस सरकार में भी विभिन्न समितियों के सदस्य रह चुके हैं। मालूम हो कि देव ने आपना राजनीति में करियर एक सरपंच के तौर पर शुरू किया था।
दो बार रह चुके हैं प्रदेश अध्यक्ष
विष्णु देव साय को साल 2006 में छत्तीसगढ़ का भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। वहीं, 2011 में वे दोबारा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। 8 जुलाई 2023 को उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय कार्य समिति का सदस्य बनाया गया। राज्य के बड़े आदिवासी चेहरों में शुमार साय की आदिवासी समुदाय में भी बहुत अच्छी पैठ बताई जाती है।
साय के जीवन का घटनाक्रम
1989 में ग्राम पंचायत बगिया के वह पंच बने।
1990 में ग्राम पंचायत बगिया के निर्विरोध सरपंच चुने गए।
1990 से 1998 तक मध्य प्रदेश विधानसभा में तपकरा से विधायक रहे।
1999 में रायगढ़ से 13वीं लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए।
2004 में दोबारा 14वीं लोकसभा रायगढ़ से चुने गए।
2006 में छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष बने
2009 में तीसरी बार 15वीं लोकसभा रायगढ़ से सांसद बने।
2011 में दूसरी बार छत्तीसगढ़ भाजपा के अध्यक्ष का दायित्व संभाला।
2014 में चौथी बार 16वीं लोकसभा रायगढ़ से सांसद चुने गए।
27 मई, 2014 से 2019 तक नरेन्द्र मोदी की सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री रहे। उन्होंने मोदी सरकार में इस्पात, खान, श्रम और रोजगार मंत्रालय का दायित्व संभाला।
2020 से 2022 तक तीसरी बार छत्तीसगढ़ भाजपा के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली।
2 दिसंबर, 2022 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए।
8 जुलाई, 2023 को राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य चुने गए।
अमित शाह ने निभाया वादा
विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जनता से किया अपना वादा पूरा कर दिया। शाह ने कुनकुरी में चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि -‘विष्णुदेव साय अनुभवी कार्यकर्ता-नेता हैं। वह लोकसभा सदस्य रहे हैं विधायक रहे और प्रदेशध्यक्ष भी रहे हैं। आप इनको विधायक बना दो, बड़ा आदमी बनाने का काम हम करेंगे।’ उनके इस बयान के बाद से ही लगने लगा था कि अगर छत्तीसगढ़ में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलता है और उसकी सरकार बनती है तो विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। आखिरकार शाह का वादा पूरा हो गया।
ट्राइबल एडवायसरी बोर्ड और पेसा कानून की चुनौतियों को हल कर सकेंगे
पूरे बस्तर में माओवादी हिंसा के नाम पर आदिवासियों का दमन चरम पर है। छत्तीसगढ़ का फेफड़ा ‘हसदेव अरण्य’ सहित उत्तर के आदिवासी क्षेत्र अडानी को कोयला और हाथियों की समस्याओं से जूझ रहा है। बस्तर सलवा जुडूम 2.0 पर आ खड़ा है। वहां की अकूत खनिज संपदा को लूटने के लिए आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को दरकिनार कर बड़े पैमाने पर सैन्य कैंपों की स्थापना कर पूरे बस्तर में व्यापक सैन्यीकरण किया जा रहा है। भूपेश सरकार के पिछले 5 वर्षो के कार्यकाल में 55 नए कैंप खोले गए हैं।
अबूझमाड़ में सडक़ों और कैंपों की स्थापना करके आदिवासी संस्कृति को खत्म कर वहां के जंगल जमीन को लूटने की तैयारी की जा रही है। हाल ही में 20 अक्तूबर को दो माडिय़ा आदिवासी युवाओं की गोमे में डीआरजी के द्वारा हत्या कर उन्हें माओवादी बताया गया, जबकि दोनो युवा महिलाओं के साथ बाजार से खरीददारी करके वापिस जा रहे थे। इसके पूर्व ताड़मेटला में भी दो आदिवासी युवाओं को माओवादी बताकर फर्जी मुठभेड़ में हत्या की गई है।
रावघाट सहित सम्पूर्ण बस्तर में पेसा कानून एवं वनाधिकार मान्यता कानून के उल्लंघन करके खनन परियोजनाओं की स्थापना की जा रही है। विरोध करने पर नेतृत्वकारी आदिवाी सेनताओं पर फर्जी मुकदमे दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जा रहा हैं।
आदिवासियों को आदिवासियों से लड़ाने की कोशिश पूरे बस्तर में लगातार जारी हैं। एक ओर राज्य सरकार वन निवासियों को वन अधिकार देने का दावा कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ जंगलों पर अपना नियंत्रण भी बढ़ा रही हैं। वन विभाग द्वारा संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के जरिए कूप कटाई की जा रही है और वह सामुदाय अधारित वनों के स्वामित्व को मान्यता देने से इंकार रहा है।
देखना है कि जेलों में बंद आदिवासियों की रिहाई, फर्जी मुठभेड़ों में आदिवासियों की मौत के साथ सारकेगुड़ा और एडसमेटा में दोषी सुरक्षा बलों पर कार्रवाई होगी? सिलगेेर सहित दसियों आंदोलनों पर क्या सरकार न्याय कर सकेगी?
आरक्षित 29 सीटों में से 17 पर भाजपा के कब्जे में
राज्य की एक बड़ी आदिवासी आबादी में से आदिवासी समुदाय की हिस्सेदारी की 32 प्रतिशत एफरमेटिव एक्शन में इस बार अनुसूचित जनजाति के लिए आरिक्षित 29 सीट में से 17 सीट जीती है। भाजपा ने 2018 में आदिवासियों के लिए आरिक्षत सीट में केवल 3 सीट जीती थीं। उसने इस बार आदिवासी बहुल सरगुजा संभाग में से सभी 14 से 14 सीट पर जीत दर्ज की है।
क्या बोले मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय
जिस सरगुजा संभाग से विष्णुदेव साय जीत कर विधान सभा पहुंचे हैं उस संभाग की सभी 14 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीत कर आए हैं। उसके बाद से ही विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा शुरू हो गई थी। इससे पहले पत्रकारों से बातचीत में विष्णुदेव साय ने कहा कि ‘मैं बहुत आनंदित हूं और सबसे पहले मैं बीजेपी को धन्यवाद देता हूं। उन्होंने कहा कि मैं पूरी ईमानदारी के साथ सबके विश्वास पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा और मोदी की गारंटी को पूरा करने का शत प्रतिशत काम करूंगा।’
विष्णुदेव साय ने कहा कि राज्य में लंबित पड़े 18 लाख प्रधानमंत्री आवास का काम सबसे पहले शुरु करूंगा। (इस बार भरोसा है कि ‘दक्षिण कोसल’ को भी एक आवास और ऑफिस के लिए जगह मिल सकेगी।) उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में दो सालों तक लंबित धान का बोनस भी 25 दिसंबर को किसानों को दी जाएगी।
जशमनी ने कहा आज मैं बहुत खुश हूं
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मां जशमनी देवी ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, ‘आज मैं बहुत खुश हूं। आज मेरे बेटे को छत्तीसगढ़ की सेवा करने का पूरा मौका मिला है। इससे अच्छा और क्या हो सकता है।’
छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल रेणुका सिंह का नाम भी चल रहा था। विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, ‘जब से चुनाव के नतीजे आए तब से मीडिया में कई नाम चल रहे थे। सब संभावित नाम थे। आज राष्ट्रीय और प्रदेश नेतृत्व ने माननीय विष्णु जी को विधायक दल का नेता चुना है। हमारे प्रदेश की अब वो बागडोर संभालेंगे।’
वह कहती है कि ‘मुझे इस बात की खुशी है कि सरगुजा संभाग से और छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार आदिवासी समुदाय के किसान परिवार के साधारण से कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री चुना गया है।’
छत्तीसगढ़ में भाजपा के महामंत्री व भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से वीआरएस लेने वाले अधिकारी ओपी चौधरी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा, ‘भाजपा सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने पर विश्वास करती है। आदरणीय नरेंद्र मोदी जी को जब पहली बार राष्ट्रपति बनाने का अवसर मिला तो उन्होंने एससी समाज से आदरणीय रामनाथ कोविंद जी को राष्ट्रपति बनाया।’
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दी बधाई
छत्तीसगढ़ के प्रभारी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर बधाई दी है। उन्होंने लिखा, ‘कुनकुरी विधायक, वरिष्ठ भाजपा नेता श्री विष्णु देव साय जी को भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने पर बधाई एवं शुभकामनाएं। नवा छत्तीसगढ़ की न्याय और प्रगति यात्रा को आप मुख्यमंत्री के रूप में आगे बढ़ाएं, ऐसी कामना करता हूं।’
राज्यपाल ने केबिनेट गठन के लिए किया आमंत्रित
राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन को आज यहां राजभवन में छत्तीसगढ़ राज्य भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव ने साल 2023 की छत्तीसगझ़ राज्य नव गठित विधानसभा के अपनेे नव निर्वाचित विधायकों की सर्वसम्मति से प्रदेश विधायक दल का नेता विष्णुदेव साय को चयनित किये जाने संबंधित पत्र सौंपा और नई सरकार बनाने के लिए अपना दावा प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर राज्यपाल हरिचंदन ने विष्णुदेव साय को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। उन्होंने भारत के संविधान की धारा 164 के तहत विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री नियुक्त करने संबंधित पत्र प्रदान किया और केबिनेट गठन के लिए आमंत्रित किया।
पटाखों की गूंज सुनाई नहीं दी
बताते चले जहां से इस खबर को बनाया जा रहा है वहां अर्थात राजनांदगांव में आज पटाखों की गूंज सुनाई नहीं दी, लेकिन 3 दिसम्बर को भाजपा की जीत और पूर्व मुख्यमंत्री रमनसिंह के विधायक चुने जाने पर लगातार कई दिनों तक पटाखों ने कान फोड़ देने का काम किया है।
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