कांग्रेस की हार जीत से परे हम मनुस्मृति की ओर एक कदम आगे

गाना गाने से सरकार तो बदल जाती है मगर टिक नहीं पाती?

सुशान्त कुमार

 

सोशल मीडिया में टीका टिप्पणी बड़े अर्थ लिये भी होते हैं। गाना गाने से सरकार तो बदल जाती है मगर टिक नहीं पाती..., छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनाने में संघर्षशील पत्रकारों, किसानों और अनियमित कर्मचारियों का बहुत बड़ा हाथ था मगर सरकार बनते ही पार्टी को घमंड आ गया और सबसे ज्यादा इस सरकार ने इन्हीं पर जुल्म ढाया..., आचार संहिता मा संवाद में करीब 300 करोड़ के भुगतान ठेका कमीशन प्रथा वाले मन के अटक गे हे जेखर बर एड़ी चोटी के जोर लगाए जावत हे? बात सिरतोन आए या हिसाब पहिलि हो गे होही?..., सीनियर कहत रहीस की कई बड़े पत्रकार! मन ला सरकार भसके ले झटका लगे हे, मैं कहेव भैया तै ओमन ला अब भी पत्रकार मानथस?...

छत्तीसगढ़ की लगभग 14 सीटें ऐसी थी जिनमे कांग्रेस के उम्मीदवार की 30 हजार वोटों से जीत होने की उम्मीद थी। यह उम्मीद पत्रकारों या विश्लेषकों को ही नहीं जनता को थी। इन सभी सीटों पर कांग्रेस हारी..., दो सीटें देखिए रामानुजगंज और कवर्धा। रामानुजगंज में अजय तिर्की लगभग 30 हजार वोट से हारे, कवर्धा में मोहम्मद अकबर 60 हजार वोटों से। अकबर पिछला चुनाव 60 हजार वोटों से जीते थे यानि  इस चुनाव में एक लाख 20 हजार वोट उनके खिलाफ गए। यह अकल्पनीय है। आज भी अगर आप जनता से सवाल करें तो वह आश्चर्य करेगी। 

एक मामला पाटन का है। भाजपा के सांसद विजय बघेल 6 महीने पहले खुद ही अपनी पार्टी के हारने का अंदेशा जता रहे थे और चुनाव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भिड़ गए। भूपेश जी की जीत का मार्जिन रहा  केवल 19 हजार। अंत में अगला जिम्मेदारी से कहता है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार जाने के लिए केवल और केवल टी.एस. सिंहदेव जिम्मेदार हैं..., जब राजा के चारों ओर दरबारियों और चापलूसों का घेरा किसी आर्मर्ड केबल की तरह हो जाए, जो वहां तक बाक़ी किसी की पहुंच नामुमकिन कर दे, तो शुभचिंतक, और उनकी शुभचिंताएं दूर ही रह जाते हैं।

बस्तर और सरगुजा ने सरकार बदल कर रखी दी

कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार दिसंबर 2018 में जब सत्ता में आई उसके कई वायदों में से एक वायदा यह भी था कि फर्जी मुठभेड़ों की जांच दोबारा की जाएगी और पीडि़तों को न्याय मिलेगा। लेकिन इसके पांच साल बाद भी सारकेगुड़ा, एडसमेटा और अब की सिरगेर आंदोलन सहित दसियों आंदोलन, आप जानते ही होंगे साल 2016 की एक घटना जब मडक़म हिड़मे करीब 23 साल की थीं और उनका ब्याह हुए एक हफ्ता भी नहीं बीता था। तब 13 जून को कुछ एसपीओ सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक में स्थित उनके गांव गोमपाड़ पहुंचे और हिड़मे व उनकी मां मडक़म लक्ष्मी के कड़े प्रतिरोध के बावजूद हिड़मे को अपने साथ ले गए और उसकी हत्या कर दी गई। बस्तर की चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी को लगातार पुलिस यातना झेलनी पड़ी। हसदेव का उत्खनन जारी है वहां आंदोलन को कुचल दिया गया है 

रिपोर्ट बताते हैं कि सलवा जुडूम छवींद्र कर्मा के पिता स्वर्गीय महेंद्र कर्मा के दिमाग की उपज था। सलवा जुडूम में नक्सलियों से मुकाबला करने के लिए स्थानीय आदिवासियों को हथियारबंद करना शामिल था। इससे आदिवासियों का टकराव आदिवासियों से ही हुआ और इस सशस्त्र आंदोलन को अनेकानेक मौतों और गांवों को जलाने के लिए जिम्मेदार माना गया। इस तरह सलवा जुजूम 2.0, जिसका वायदा छवींद्र कर्मा द्वारा किया गया, पहले से ही अस्तित्व में है। और अब रही बात आदिवासियों को न्याय की इसने सरकार बदल कर रख दी।  

10 लाख से ज्यादा वोट फिर भी कांग्रेस की हार

सुप्रिया श्रीनेत ने एक आंकड़ा दिखाया है और कहा है कि लड़ाई लडऩी क्यों ज़रूरी है? इसलिए इस देश ने 4 राज्यों में कांग्रेस को भाजपा से 10 लाख ज़्यादा वोट दिये, और जिन राज्यों में भाजपा जीती वहां भी हमें औसतन 40 प्रतिशत से ऊपर लोगों ने अपना वोट दिया।

4 राज्यों में भाजपा-कांग्रेस के वोट
कांग्रेस - 4 करोड़ 90 लाख से ऊपर 
भाजपा - 4 करोड़ 81 लाख से ऊपर 

तेलंगाना वोट प्रतिशत
कांग्रेस - 39.40 प्रतिशत
भाजपा - 13.90 प्रतिशत

छत्तीसगढ़ वोट प्रतिशत
कांग्रेस - 42.23 प्रतिशत
भाजपा - 46.27 प्रतिशत

राजस्थान वोट प्रतिशत
कांग्रेस - 39.53 प्रतिशत
भाजपा - 41.69 प्रतिशत

मध्यप्रदेश वोट प्रतिशत
कांग्रेस - 40.40 प्रतिशत
भाजपा - 48.55 प्रतिशत 

छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के नतीजों ने भाजपा का कद बढ़ाया

देश में पांच राज्यों में विधान सभाओं के चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर से चौंकाया है। मध्यप्रदेश में भाजपा की इस तरह की बदलाव की उम्मीद नहीं थी। छत्तीसगढ़ से मैदानी क्षेत्र से कांग्रेस की ऐसी हार की उम्मीद सपने में भी नहीं थी। राजस्थान में अधिकतर लोगों ने यह जरूर बताया कि भाजपा आएगी। तेलंगाना में भी कांग्रेस के आने की चर्चा थी। लेकिन छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के नतीजों ने भाजपा का कद बढ़ाया है। 

चुनाव आयोग क्या कहता है

कांग्रेस तेलंगाना में आई जरूर है, किन्तु राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो वह बुरी तरह हारी है। चुनाव आयोग के अनुसार छत्तीसगढ़ में कुल 90 में 54 पर भाजपा और 35 पर कांग्रेस, 1 पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी हैं। मध्यप्रदेश के कुल 230 में 163 पर भाजपा और 66 पर कांग्रेस, 1 पर भारत आदिवासी पार्टी हैं। राजस्थान के कुल 199 में 115 पर भाजपा और 69 पर कांग्रेस 2 पर बीएसपी, 3 पर भारत आदिवासी पार्टी, 1 पर राष्ट्रीय लोकदल आरएलडी, 1 पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी तथा 8 पर निर्दलीय जीत कर आए हैं। इसी तरह तेलंगना के कुल 119 में 64 पर कांग्रेस, 39 पर भारत राष्ट्र समिति,  8 पर भाजपा, 5 पर एआईएमआईए, 1 पर सीपीआई चुनकर आई है। मिजोरम में 40 सीट पर चुनाव हुए जिसमें 27 पर जोरम पीपल्स मूव्हमेंट, 10 पर मिजो नेशनल फ्रंट, 2 पर भाजपा, 1 पर कांग्रेस को सीट मिले हैं। हां कहां किसकी सरकार बननी है, तय हो चुका है। 

कांग्रेस को तेलंगाना को छोड़ शेष तीनों जगह बुरी तरह शिकस्त मिली है और भाजपा को सभी चार प्रांतों में पहले से कहीं अधिक सफलता मिली है। तेलंगाना में भी उसकी सीटें चार गुनी हुई हैं। इसलिए इस चुनावी नतीजे को पूरी तरह भाजपा की जीत कहा जाना चाहिए। 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पूर्व हुए इस चुनाव परिणामों से भाजपा का सनातन परचम लहरा उठा है। 

इस चुनाव में कांग्रेस के इस बुरे प्रदर्शन का कारण आखिर क्या हो सकता है? क्या लालू प्रसाद के साथ राहुल गांधी की बहुप्रचारित मटन पार्टी और जाति के प्रश्न पर लालू -नीतीश नजरिये का समर्थन उसे ले डूबी या फिर कुछ दूसरे कारण थे। लोग और स्वयं कांग्रेस इसकी पड़ताल करेगी और करनी चाहिए। लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि कांग्रेस को अगले लोकसभा चुनाव तक अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी। 

देश के लोगों की मानसिकता को जो लोग कुछ समझते हैं, वे यह भी जानते हैं कि धार्मिक आग्रहों के बावजूद आम भारतीय धर्मनिरपेक्ष प्रवृत्ति के होते हैं। उसी तरह जाति के मानकों के बीच रहने वाला भारतीय भी प्रवृत्ति से जातिनिरपेक्ष होता है। छत्तीसगढ़ में जातीय जनगणना की घोषणा कहीं हार का कारण तो नहीं बना? जातिवाद, धार्मिक कट्टरता और भ्रष्टाचार पर चलकर जनता का विश्वास हासिल किया जा सकता है वह गलती पर हैं। हो यह रहा है कि कट्टरता को रेडिकल कट्टरता और जातिप्रथा को एक दूसरी रेडिकल जातिप्रथा और धर्म को बदलाव का रेडिकल धर्म केसरिया हिन्दुत्व रंग ले रहा है। 

डॉ. रमन सिंह का राजनांदगांव और उनके सिर जीत का ताज

इस विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधे मुकाबला थी। राजनांदगांव से भाजपा प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस चुनाव में रिकॉर्ड 45084 हजार वोटों से जीत दर्ज की है। उन्हें शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों से भी एकतरफा लीड मिली है। जहां तक राजनांदगांव शहर का सवाल है 122 बूथों में से 119 बूथों में डॉ रमन को सीधे जीत हासिल हुई है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के 101 बूथों में से 82 बूथों में जीत दर्ज की है। कांग्रेस ने पार्टी के उन नेताओं को 5-5 वार्ड का प्रभार देकर जीत दिलाने जिम्मेदारी सौंपी थी जो खुद को विधानसभा चुनाव के लिए दावेदार बताते हुए टिकट की मांग कर रहे थे। इन नेताओं ने अपने प्रभार वाले वार्ड में ही पार्टी को जीत नहीं दिलाई। डॉ. रमन सिंह ने सीधे मुकाबला में कांग्रेस के गिरीश देवांगन को 45084 हजार से अधिक वोटों से हराया है। निर्वाचन कार्यालय से प्राप्त बूथ वार आंकड़े में शहर के 122 बूथों में भाजपा को लीड मिली है।

शहर के गिनती के बूथों में कांग्रेस को बढ़त 

शहर के सभी बूथों में भाजपा को बड़ी जीत हासिल हुई है। शहर में ही डॉ. रमन को 60471 हजार से अधिक मत मिले हैं। शहर के रेवाडीह वार्ड के दोनों बूथों में भाजपा को 462 मतों की लीड मिले हैं। वहीं पेंड्री के दोनों वार्ड में भी भाजपा को 205 मतों की लीड मिली है। ममता नगर के बूथ में भाजपा को 259 वोट अधिक मिले हैं। वार्ड नं. 1 बजरंगपुर नवागांव के चारों बूथों से भाजपा को 1081 की लीड रही। नया ढाबा में भाजपा को 297 व पुराना ढाबा में 219 का लीड रहा। मोतीपुर के सभी 6 बूथ में भाजपा ने भगवा परचम लहराया है। 6 बूथों में भाजपा की कांग्रेस से 1441 का लीड रहा है।

गांव के चारों बूथों में कांग्रेस की हार, भाजपा की सीधी जीत 

ग्रामीण क्षेत्र के टेडेसरा गांव कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भागवत साहू का गृह ग्राम है। यहां के चारों बूथों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा ने यहां के चारों बूथों में 676 वोटों से जीत दर्ज की है। अंजोरा के दोनों बूथों से भाजपा को 734 वोट से जीत मिली है। कोपेडीह से भाजपा ने 203 से जीत दर्ज की है।

सुकुलदैहान क्षेत्र के सभी गांव बम्हनी, गातापारा कला, लिटिया, धनगांव सहित अन्य गांव में भी भाजपा ने एकतरफा जीत दर्ज की है। इसके अलावा सुरगी सहित क्षेत्र के मोखला, आरला, भर्रेगांव, खुटेरी में भी भाजपा की जीत हुई है। सोमनी के भी दोनों बूथों में भाजपा ने जीत दर्ज किया है। ईरा में एक बूथ, सांकरा में एक बूथ, फुलझर बैगाटोला, परमालकसा, ठेकवा के अलावा जंगलेसर के सभी बूथों में भाजपा विजयी हुए हैं।

गांवों ने कर्ज माफी को ठुकरा दिया

चुनाव के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में कांग्रेस के कर्ज माफी जादुई माना जाता था। चुनाव परिणाम सामने आने पर किसानों ने कांग्रेस को नकार दिया है। राजनांदगांव विस क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र में 101 बूथ हैं। जिसमें 18 बूथ में ही कांग्रेस को मामूली बढ़त मिली है। जबकि भाजपा को 83 बूथ में जीत मिली है। भाजपा ने ग्रामीण क्षेत्र से 12 हजार से अधिक वोटों से लीड की है। जिसमें सोमनी क्षेत्र, सुरगी क्षेत्र, सुकुलदैहान व सिंघोला क्षेत्र के लगभग सभी गांवों में जीत दर्ज की है।

शहर के बाजार क्षेत्र में भाजपा का केसरिया परचम

गोलबाजार सहित बाजार क्षेत्र में भाजपा के पक्ष में माहौल रहा है। गोलबाजार में भाजपा की लीड 292, शीतला मंदिर क्षेत्र में 418, दिग्विजय कॉलेज रोड में 426, ब्राम्हणपारा में 241, आजाद चौक 430, ढीमर पारा में 371, दुर्गा चौक में 305, चौखडिया पारा में 225, झुलेलाल वार्ड में 462, नंदई कुआ चौक के दोनो बूथों से 645, हीरामोती लाइन 341, ठेठवार पारा से 448, जूनीहटरी से 190, हमालपारा से 170, शनि मंदिर रोड से 172, रामाधीन मार्ग से 423, पुराना बस स्टैंड क्षेत्र के बूथ से 265, लोहारपारा से 302, भरकापारा से 129, नेहरु नगर से 152, रामनगर से 290, कंचनबाग से 606, कसाईपारा से 131, कैलाशनगर से 295, मठपारा से 252, शंकरनगर से 211, सेठीनगर से 349, भारतमाता चौक से 461, डबरीपारा से 133, चितलांग्या मार्ग के बूथ से 25, कन्हारपुरी के तीन बूथ से 836 की लीड हुई है। सिंगदई के दोनों बूथों से भाजपा को 252 की लीड मिली है। मोहड़ के भी दोनों बूथ से भाजपा को 430 की लीड मिली है। हल्दी के दोनों बूथों में भी भाजपा को 980 की जीत मिली है।

महापौर के वार्ड और गौरी नगर में भी भाजपा की जीत

महापौर के गृह क्षेत्र चिखली के सभी बूथों में कांग्रेस की हार हुई है। यहां के 7 बूथों में भाजपा प्रत्याशी डॉ. रमन सिंह को 2196 की लीड मिली है। वहीं गौरी नगर के तीन बूथ में से दो में भाजपा ने 414 की लीड ली है। एक बूथ में कांग्रेस को 143 से जीत मिली है। लखोली वार्ड के सभी 8 बूथों में भाजपा को 2527 की लीड मिली है। स्टेशनपारा के 4 बूथ में भाजपा को 498 की लीड मिली है। 16-खोली में भाजपा को 97, टाकापारा में 34, मुदलियार कॉलोनी में 162, बल्देवबाग में 154, मिलचाल में 156, लेबरकॉलोनी के दो बूथों से 1417, तुलसीपुर के 7 बूथों में 1616, लालबाग के 4 बूथों में 1657 की भाजापा को लीड मिली है। इसके अलावा विधायक के दावेदार रहे कांग्रेसी जितेन्द्र मुदलियार, शहर अध्यक्ष कुलबीर छाबड़ा, निखिल द्विवेदी, विवेक वासनिक सहित कांग्रेस के कद्दावार नेताओं के वार्ड में कांग्रेस की करारी हार हुई।

कौरिनभाठा के 10 बूथों में 3180 की मिली लीड

भाजपा प्रत्याशी को शहर के कौरिनभाठा वार्ड के सभी 10 बूथों में जबरदस्त लीड मिली है। यहां के 10 बूथ में भाजपा ने कांग्रेस को 3180 मतों के अंतर से हराया है। मोहारा के दोनों बूथों में भी भाजपा को 701 मतों से जीत मिली है। इसके अलावा बसंतपुर वार्ड के 6 बूथ में भी भाजपा ने एकतरफा जीत हासिल कर कांग्रेस को 2188 मतो से हराया है। नंदई चौक के दो बूथों में भाजपा को 938 की लीड मिली है। वहीं शंकरपुर के तीन बूथ में भाजपा को 1020 से जीत मिली है। 

देवांगन वोट से भी वंचित रहा कांग्रेस

राजनांदगांव से कांग्रेस के प्रत्याशी गिरीश देवांगन को ममतानगर, तुलसीपुर, बजरंग नवांगांव, लिटिया, सुकुलदैहान से देवांगन जाति का वोट तक नहीं मिला। बताया यह भी जा रहा है कि शहर के 200 देवांगन परिवारों का भी वोट कांग्रेस को नहीं मिले हैं। कांग्रेस का गिनती के कुछ बूथों को छोड़ शेष प्रदर्शन बेहद खराब रहा और उसे अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा।

सनातन कार्ड का खेला 

इस चुनाव में बिरनपुर, दक्षिण दुर्ग से लेकर कवर्धा तक और मैदानी क्षेत्रों में धर्म संसद से लेकर राम वन गमन पथ, कौशल्या योजना, नरवा, गरवा घुरवा बाड़ी, सतनामी समाज में तीन पेज का गुप्त अभियान, साहू धु्रवीकरण जैसी सनातन केसरिया रंग कांग्रेस के खिलाफ देखने को मिला। स्थानीय स्तर पर एक दूसरे को निपटाने की कूटनीति, पुराने भाजपाईयों की दूसरी सूची और भाजपा की घोषणा पत्र में मोदी गारंटी सब कुछ बदल कर रख दिया इसकी तासिर ने मतदाताओं से लगभग 1 लाख करोड़ से ज्यादा की कांग्रेसी मुफ्त घोषणाओं को ठुकरा दिया। बताया यह भी गया कि कांग्रेस में भ्रष्टाचार खूब था। महादेव एप सहित भर्ती परीक्षाओं का प्रभाव भी था। 

मुख्यमंत्री के दावेदार टीएस सिंहदेव भी नहीं बचा पाए अपनी कुर्सी

चुनाव में उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव, मंत्री रविन्द्र चौबे, गुरू रूद्र कुमार, मोहम्मद अबकर, ताम्रध्वज साहू कांग्रेस उपाध्यक्ष संतराम नेताम, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज तथा अरूण वोरा को मुंह की खानी पड़ी। भिलाईनगर से महादेव एप का प्रहार झेल रहे देवेन्द्र यादव अपने निकटतम प्रतिद्वंदी प्रेमप्रकाश पांडेय को 1264 वोटों से हराया। अम्बिकापुर से टीएस सिंहदेव 94 मतों से हार गए। वहीं कांकेर से भाजपा के आशाराम नेताम ने अपने विरोधी शंकर धु्रव को 16 मतों से पराजित किया।

लोरमी निर्दलीय प्रत्याशी को मिला 25126 वोट

लोरमी से निर्दलीय प्रत्याशी संजीत बर्मन ने 25126 वोट पाकर तीसरे स्थान पर जगह बनाया। उन्होंने कांग्रेस के थानेश्वर साहू और भाजपा के अरूण साव को टक्कर दिया। पाली तानाखार से तुलेश्वर हीरासिंह मरकाम गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से 514 वोट की लीड से जीत दर्ज किया। गुंडरदेही से कुंवर सिंह निषाद जिसका टिकट कटना तय था, ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी वीरेन्द्र कुमार साहू के खिलाफ 14863 मतों से लीड जीत दर्ज की। पाटन से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को 18523 की लीड जीत मिली वहीं जोगी कांग्रेस के मुखिया अमित जोगी को 4822 वोट मिलें और उनकी पूरी पार्टी भरभरा कर गिर गई। यह पार्टी अपना पिछला पांचों सीट खो चुकी है। 

इस चुनाव में बसपा का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा इसने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से तालमेल किया था। छत्तीसगढ़ से लेकर उत्तर प्रदेश के सरहदी मुकाम तक इन्हें अपने राजनैतिक सत्यानाश पर मंथन करना चाहिए। धरसींवा से फिल्म कलाकार अनुज शर्मा अपने निकटतम प्रतिद्वंदी छाया वर्मा को 44343 मतों से पराजित किया। यही नहीं छत्तीसगढ़ी स्टेज में नीले दृश्यों को फिल्माने वाले छत्तीसगढ़ी कलाकार दिलीप लहरिया ने अपने प्रतिद्वंदी डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी को 20141 मतों से पराजित किया। 

कोंटा से मनीष कुंजाम ने दिया जबरदस्त टक्कर 

हालांकि बस्तर के कोंटा में मनीष कुंजाम को तीसरा स्थान मिला उन्हें 29040 मत मिलें हैं। जबकि कवासी लखमा को 32776 वोट मिले। बस्तर से विक्रम मंडावी, लता उसेंडी, केदार कश्यप, विक्रम उसेंडी तथा भरतपुर सेनहट से रेणुका सिंह जीत कर आई है। सतनामी समाज से पन्नुलाल मोहले, कविता प्राण लहरे, गुरू खुशवंत सिंह, शेषराज हरबंश, दयालदास बघेल को जीत मिला है। इसके अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, आप आदमी पार्टी, हमर राज पार्टी, जोहर छत्तीसगढ़ पार्टी, आदि पार्टी ने दोनों ही दलों के वोट कुतरने का काम किया है। 

कांग्रेस 20 और भाजपा ने की 21 घोषणाएं

एक झलक भाजपा के घोषणा पत्र पर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के लिए पहले बीजेपी फिर सत्ताधारी कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र जारी किया है। हो सके तो न घोषणाओं को याद रखिएगा।

भारतीय जनता पार्टी की ओर से ‘मोदी की गारंटी’

1. 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी 3100 रुपये में की जाएगी।

2. प्रदेश की प्रत्येक विवाहित महिला को 12000 रुपये वार्षिक वित्तीय सहायता दी जाएगी।

3. एक लाख रिक्त शासकीय पदों पर समयबद्ध एवं पारदर्शी रूप से भर्ती किया जाएगा।

4. 18 लाख प्रधानमंत्री आवास एवं घर-घर निर्मल जल अभियान।

5. तेदुपत्ता संग्रहण को 5500 रुपए प्रति मानक बोरा, अतिरिक्त संग्रहण को 4500 रुपए तक बोनस और चरण पादुका एवं अन्य सुविधाएं।

6. भूमिहीन खेतिहर मजदूर को रुपए 10000 प्रतिवर्ष आर्थिक सहायता देने का वादा किया।

7. 5 लाख से 10 लाख का स्वास्थ्य बीमा, 500 नए जन औषधि केंद्र पर सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराया जाएगा।

8. पीएससी घोटाले की जांच, प्रमुख परीक्षाओं की प्रक्रिया को यूपीएससी की तर्ज पर कराया जाएगा।

9. युवाओं को 50 फीसदी सब्सिडी के साथ ब्याज मुक्त ऋण दी जाएगी।

10. नेशनल कैपिटल रीजन, दिल्ली की तर्ज पर स्टेट कैपिटल रीजन की स्थापना किया जाएगा। रायपुर, नया रायपुर, दुर्ग और भिलाई नगर क्षेत्र का समन्वित एवं संतुलित विकास किया जाएगा।

11. नया रायपुर को सेंट्रल भारत का इनोवेशन हब बना कर राज्य में 6 लाख रोजग़ार के अवसर दिया जाएगा।

12. रानी दुर्गावती योजना की शुरुआत कर बीपीएल वर्ग की बालिकाओं के जन्म पर रुपए 1,50,000 का आश्वासन प्रमाण पत्र जारी।

13. गरीब परिवारों की महिलाओं को रुपए 500 में गैस सिलिंडर प्रदान करेंगे।

14. छात्रों को कॉलेज आने-जाने के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से मासिक ट्रेवल अलॉवंस प्रदान किया जाएगा।

15. भ्रष्टाचार के खिलाफ आयोग गठित, शिकायत निवारण और निगरानी के लिए वेब पोर्टल, सीएम कार्यालय में एक सेल का गठन किया जाएगा।

16. हर संभाग में एम्स की तर्ज पर छत्तीसगढ़ इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस और हर लोकसभा क्षेत्र में आईआईटी की तर्ज पर छत्तीसगढ़ इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी का निर्माण किया जाएगा।

17. इन्वेस्ट इंडिया के तर्ज पर इन्वेस्ट छत्तीसगढ़ आयोजित करेंगे और वार्षिक वैश्विक स्तरीय सम्मलेन कर देशी-विदेशी कंपनियों से निवेश आमंत्रित किया जाएगा।

18. ‘सरकार तुहर दुवार’ योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत और वार्ड स्तर पर 1.5 लाख बेरोजग़ार युवकों को भर्ती कर प्रभावी घर पहुंच सार्वजनिक सेवा शुरु किया जाएगा।

19. 1000 किलोमीटर लंबी शक्ति पीठ परियोजना की शुरुआत कर छत्तीसगढ़ के पांच शक्ति पीठों को उत्तराखंड की चार धाम परियोजना की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।

20. प्रदेशवासियों को श्रीरामलला के दर्शन कराने हेतु अयोध्या लेकर जाएंगे।

21. 2 साल का बकाया बोनस 25 दिसंबर को प्रदेश के किसानों को भाजपा देगी। 

हार जीत चुनावी राजनीति का हिस्सा है। लेकिन इतने सारे लोगों के इस विश्वास के भी कुछ मायने हैं - आंकड़ें तो यही बताते हैं। बहरहाल तब तक ईवीएम मशीन का रोना जारी रखते हैं या फिर चुनाव हारे नेताओं और उनकी पार्टियों को ईवीएम को कोसने के बजाय कुछ दिन अकेले आईने के सामने बैठना चाहिए?


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  • 09/12/2023 Gayatri singh

    सत्ता का परिवर्तन कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण हुआ

    Reply on 27/12/2023
    शुक्रिया