छत्तीसगढ़ में आखिरकार ‘लोरमी विधान सभा’ सीट क्यों कर चर्चा में?

कौन हैं निर्दलीय प्रत्याशी संजीत वर्मन?

सुशान्त कुमार

 

संजीत बर्मन ने शिक्षा, स्कूल, कॉलेज, स्वास्थ्य, आरक्षण, जातीय जनगणना को अपनी घोषणा पत्र में जोड़ा है। अगर लोरमी विधानसभा क्षेत्र की जनता विधायक के रूप में चुनती है तो खुडिय़ा बांध में महानायक क्रांतिकारी बिरसा मुंडा जी के प्रतिमा स्थापना करवाएंगे।

क्या है वर्मन की घोषणा पत्र

जाति आधारित जनगणना और उसके अनुपात में पिछड़ा वर्ग आरक्षण बढ़वाने के लिए जन आंदोलन खड़ा करेंगे। वह कहते हैं कि रील और रियल में बहुत अंतर होता है। रील का किरदार निभाने वालों को कलाकार कहा जाता है। और रियल जीवन में किरदार निभाने वाले को नायक कहा जाता है।

वोट के अधिकार पर उनका कहना है कि ‘तोर बोट अऊ बैरी के नोट, बोट ल बने जतन के राख लेबे न अत्याचार म कोन? ह संग देथे पहचान लेबे न बोट ल बहिनी-बेटी बरोबर तैं जान लेबे न।’ उनका कहना है कि लोकतंत्र को भ्रष्ट तंत्र में किसने बदला यह जानने के लिए इस विडियो को देखने कहा है। उन्होंने बताया कि जनसंपर्क करते हुए आगे बढ़ रहा था तो एक व्यक्ति को शराब और कांग्रेस पार्टी का झंडा दिया गया था।

वीडियो में व्यक्ति बता रहा है कि उसको शराब कोई साहब ने दिया है। इस वीडियो को उन्होंने फेसबुक में अपलोड किया है। 

https://fb.watch/oko90Qzjdy/

वह कहते हैं कि मेरी ईमानदारी और निस्वार्थ सेवा भाव पर मतदाताओं का भीड़ उमड़ पड़ा है और तीन दिसम्बर को चुनाव परिणाम जानने को सब बेताब हैं। 

वह कहते हैं कि जहां खड़ा हो रहा हूं। जन सहयोग और आर्थिक सहयोग वहीं हो रहा है। प्रचार के लिए गाड़ी, भोजन  के लिए साग सब्जी लोग स्वयंस्फूर्त होकर सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने अपने प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं बिलासपुर लोकसभा सांसद अरुण साव और थानेश्वर को गिनाया है। उनकी दावेदारी से भयक्रांत भाजपा ने कैबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी, देश के प्रधानमंत्री, प्रचार मंत्री, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, असम के मुख्यमंत्री को बुलाया है। ईरानी स्वयं प्रचार करने आई थी लेकिन वहां कार्यक्रम के पश्चात जब संजीत पहुंचे तो उपस्थित लोगों ने उनका नायक की तरह अभिवादन किए। 

संजीत का मानना है कि लोरमी विधान सभा का वह निवासी है, छिरहुट्टी उनका जन्मभूमि है बिजराकापा खुर्द उनका मामा गांव है। जनसमर्थन में स्थानीय हैं और उन्हें भावनात्मक एवं आर्थिक सहयोग दे रहे हैं। चुनाव प्रचार थमने से पूर्व तक सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक उन्हें लगातार जनसमर्थन मिलते रहा है। 

दिन प्रतिदिन के चुनाव प्रचार पर कहते हैं कि मेरे जनसंपर्क अभियान एक व्यापक रैली की शक्ल में तब्दील होती रही है। भाजपा और छजका प्रत्याशियों की रैली फीकी पड़ गई है। कांग्रेस तो कहीं दिखाई ही नहीं दे रही है। आज तक और अभी भी वोटरों का वोट पैसों में बिकता रहा है, लेकिन इतिहास में पहिली बार वोटर अपना पैसा खुद देकर वोट देने का जो समर्थन संजीत वर्मन को कर रहे है वही बहुत बड़ी बात है

डीजे और प्रचार प्रसार में अडंग़ा डाला गया 

उनकी शिकायत थी कि लोरमी विधान सभा चुनाव क्षेत्र में सभी प्रत्याशी डीजे के साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं। रिटर्निंग ऑफिसर को उनके डीजे से ही तकलीफ है या उनके जाति समझ से परे हैं। उन्होंने शिकायत करते हुए कहा है कि मेरे चुनाव प्रचार में लगे डीजे को जप्त करने की कार्रवाई आदेश जारी करना मेरे जाति के दुष्प्रभाव है या मेरे चुनाव जीतने लायक बन गए माहौल की बौखलाहट है।

कांग्रेस, भाजपा एवं जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी डीजे के साथ अपना चुनाव प्रचार कर रहे हैं लेकिन लोरमी विधानसभा के रिटर्निंग ऑफिसर के द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को व्हाट्सएप गु्रप के माध्यम से उनके डीजे को जप्त करने का आदेश जारी करी है।

उनके मेरे डीजे को जप्त करने के लिए पुलिस मुझे परेशान करती है भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं बिलासपुर लोकसभा के सांसद एवं लोरमी विधानसभा प्रत्याशी अरुण साव के डीजे को अपने मोबाइल से रिकॉर्डिंग किया है। जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी सागर सिंह भी डीजे के साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं।

उन्होंने दावे के साथ कहा है कि लोरमी के स्थानीय भाजपा के नेता मीडिया के सामने मुझे अपनी चुनौती के रूप में स्वीकार कर लिए हैं। उन्होंने लहरे दिवाना के गीतों की काफी तारीफ किया है और पूरे चुनाव प्रचार में उनकी गीत बजते रहे हैं। का काम के....इस गाना को बच्चे की छठ्ठी कार्यक्रम में बजाकर मतदाता नाच रहे थे। 

 

 

आदिवासियों की भी वकालत की

संजीत आदिवासी मामलों पर भी बोलते नजर आते हैं-‘मैंने निर्दोष आदिवासियों के पक्ष में बस्तर में जाकर आवाज उठाया है।’ अभी चुनाव प्रचार अभियान में खुडिय़ा अचानकमार अभ्यारण्य क्षेत्र में गया तो देखा कि खुडिय़ा और बस्तर में विकास के नाम ठग, छल और जुमले बाजी लगभग समान है।

जातीय जनगणना उनकी मांगों की नकल

कांग्रेस सरकार द्वारा जातीय आधारित जनगणाना की घोषणा संजीत वर्मन के मांगों की नकल है। संजीत वर्मन ने दावा किया है कि आबादी के अनुपात में आरक्षण लागू करवाएंगे। छत्तीसगढ़ में ओबीसी वर्ग की आरक्षण 14 प्रतिशत से 27 प्रतिशत आरक्षण बढ़ाने और एससी वर्ग की आरक्षण 12 प्रतिशत से 16 प्रतिशत बढ़ाने के लिए की मांगों को लेकर आंबेडकर चौक बिलासपुर से मुख्यमंत्री आवास रायपुर तक पदयात्रा किए थे। 

उन्होंने ब्राह्मणवादियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि इस विरोध प्रदर्शन के बाद 15 अगस्त 2019 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से 27 प्रतिशत आरक्षण बढ़ाने की घोषणा किए।

ओबीसी आरक्षण को किसने रोका?

वर्मन ने अफसोस जताया कि ओबीसी वर्ग जिन्हें अपना मार्गदर्शक मानते हैं जन्म से लेकर मृत्यु तक के क्रियाकर्म करने के लिए जिन के भरोसे आश्रित रहते हैं उसी वर्ग के लोग छत्तीसगढ़ में 27 प्रतिशत आरक्षण देने के खिलाफ याचिका दायर करने वालों में प्रमुख भूमिका निभाई है। उन्होंने इस मामले में आदित्य तिवारी, कुणाल शुक्ला, पुनेश्वरनाथ मिश्रा, पुष्पा पांडेय, स्नेहिल दुबे, अखिल मिश्रा, गरिमा तिवारी एवं उनके सजातीय लोगों के साथ अधिवक्ताओं - प्रतीक शर्मा, पलास तिवारी, रोहित शर्मा, शैलेन्द्र शुक्ला, वैभव शुक्ला, शक्तिराज सिन्हा पर छत्तीसगढ़ में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत लागू नहीं होने देने का आरोप लगाया है।

कॉलेजियम सिस्टम पर क्या कहते हैं संजीत?

कॉलेजियम सिस्टम को लोकतांत्रिक बनाने के लिए एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग को उच्च न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व दिलवाने के लिए वहां आरक्षण लागू करने हेतु देश की राजधानी दिल्ली में संसद भवन के सामने प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मंडल कमीशन की सिफ़ारिशों को जन - जन तक पहुंचाएंगे। छत्तीसगढ़ में जातीय आधारित जनगणना करवाने के लिए प्रदेशव्यापी जनआंदोलन खड़ा करेंगे।

उन्होंने जातिवाद पर तंज कसते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में ओबीसी वर्ग में एक भी राजनीतिक जनप्रतिनिधी ऐसा नहीं मिला जो आरक्षण का महत्व और समतामूलक समाज की स्थापना हेतु सामाजिक न्याय के लिए आवाज उठाए।

आंकड़ों में लोरमी विधान सभा

लोरमी विधानसभा, छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित एक महत्वपूर्ण मतदान क्षेत्र है। यहां कुल 1 लाख 42 हजार 744 मतदाता हैं, जिनमें 1 लाख 10 हजार  743 पुरुष, 1 लाख 6 हजार 575 महिला और 6 थर्ड जेंडर वोटर्स हैं। इस विधानसभा में ज्यादातर वोटर्स ओबीसी वर्ग से हैं, जबकि एससी/एसटी वर्ग के मतदाताओं की भी निर्णायक भूमिका होती है।

लोरमी विधान सभा का इतिहास 

लोरमी विधानसभा क्षेत्र का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है। यह क्षेत्र शुरुआत से ही कांग्रेस का गढ़ रहा है और अनुसूचित जाति और जनजाति कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक है। इसके विपरीत, पिछङे वर्ग के साहू समाज ने शुरुआत से ही भाजपा का समर्थन किया है।

लोरमी विधानसभा क्षेत्र मूलत: जंगलों से घिरा हुआ है। यह क्षेत्र वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप में मशहूर है, जहां पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं। यहां ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर करते हैं। यहां कोई व्यापक उद्योगिकीकरण नहीं हुआ है। लेकिन पहले छत्तीसगढ़ में विधानसभा की कुल सीटों का गणित और उन पर साल 2018 के चुनाव में मिली हार जीत का अंक गणित समझ लेते हैं।

लोरमी विधानसभा सीट से साल 2018 में जेसीसी और 2013 के चुनाव में बीजेपी की जीत हुई थी। उल्लेखनीय है कि साल 2018 में जेसीसी ने बीजेपी  को 18 प्रतिशत मार्जिन से हराया था। 

लोरमी विधानसभा सीट से साल 2018 में जेसीसी उम्मीदवार धर्मजीत सिंह ने बीजेपी उम्मीदवार तोखन साहू को हराया था। साल 2018 में लोरमी विधान सभा में कुल 1,97,352 वोटर थे, लेकिन कुल 1,41,601 वोट पड़े थे। कुल मतदान यानी वोटिंग 71.8 प्रतिशत हुई थी। जेसीसी उम्मीदवार धर्मजीत सिंह ने बीजेपी  उम्मीदवार तोखन साहू को 18 प्रतिशत वोटों के मार्जिन (25553 वोटों से) से हराया था।

लोरमी विधानसभा सीट पर साल 2013 की बात करें तो बीजेपी उम्मीदवार टोखन साहू की जीत हुई थी। दूसरे नंबर पर कांग्रेस उम्मीदवार धर्मजीत सिंह का नाम था।संजीत वर्मन ताल ठोकते हुए कहते हैं कि विगत 8 वर्षों से जातिगत अत्याचार के मामले पर संज्ञान लेते हुए पीडि़त व्यक्ति का हिम्मत और हौसला बढ़ाते हुए  पुलिस थाना में रिपोर्ट दर्ज करवाने से लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में आरोपियों की जमानत याचिका के विरोध में वकील खड़ा करते हुए उनके जमानत याचिका खारिज करवाने का काम करने का दावा किया है।

वह अपने व्यक्तिगत जीवन पर कहते हैं कि स्कूल शिक्षक था जो कि अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। अभी लोरमी में विधान सभा क्षेत्र की स्थानीय लोगों के विशेष आह्वान पर विधानसभा लोरमी से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में कद्दावर प्रत्यासी के रूप में मैदान में हैं। 

उन्होंने अपनी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के तौर पर मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं बिलासपुर लोकसभा के सांसद अरुण साव को कहा है और दूसरे प्रतिद्वंद्वी के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष थानेश्वर साहू की ओर इशारा किया है। 

 

 

कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ में है तो सत्ता पक्ष की ताकत थानेश्वर साहू के पक्ष में है। भाजपा के प्रत्याशी के चुनाव प्रचार अभियान को गति देने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी एवं असम के मुख्यमंत्री आ चुके हैं।

बहरहाल लोरमी विधान सभा की राजनीतिक लड़ाई जनबल बनाम धनबल और सत्ताबल के साथ है। लोरमी विधान सभा के ग्रामीणों ने जिस तरह से जन सहयोग से विगत डेढ़ माह से संजीत वर्मन का सहयोग देते हुए यहां तक पहुंचा दिए हैं इससे कांग्रेस और भाजपा पार्टी के प्रत्याशियों के नींद उड़ गई है। चुनाव प्रचार अभियान का आज अंतिम दिन था। उन्होंने चुनाव प्रचार रोकने की बकायदा घोषणा भी की है। मतदान प्रक्रिया पूर्ण होने में मात्र 3 दिन शेष रह गए हैं और इसके लिए पोलिंग बूथ मैनेजमेंट और उन कार्यकर्ताओं की व्यवस्था के साथ वाहन, डीजल, पेट्रोल हेतु आर्थिक जरूरतों के लिए मतदाताओं का अभिवादन किया है।

वर्मन मतदाताओं को भरोसा दिलाते हैं कि निजी स्वार्थ के चलते अपने समाज के साथ गद्दारी किसी भी कीमत में नहीं करेंगे। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान अपील किया है कि आप लोग मुझे यथासंभव सहयोग करें जिससे कि मैं विधान सभा सदस्य बनकर छत्तीसगढ़ की सडक़ से विधान सभा तक में इतिहास रचते हुए वंचित-शोषित-पीडि़त वर्ग की आवाज के लिए विधान बना सकें।

उन्होंने शासन प्रशासन द्वारा उन पर किए गए अत्याचारों पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि- ‘मुझे पदोन्नति में आरक्षण के चलते रायपुर में पुलिस द्वारा पीटा गया, अनुसूचित जाति की आरक्षण 12 प्रतिशत से 16 प्रतिशत की मांग को लेकर 18 दिसम्बर को लालपुर में पुलिस द्वारा बहुत बेरहमी से पीटा गया, जैतखाम और पदोन्नति में आरक्षण की मांग को लेकर कबीरधाम में जेल जाना पड़ा, 16 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर बिलासपुर में जेल भेजें गए, बिलासपुर रेलवे जोन मुख्यालय में लोको पायलट के पदोन्नति में आरक्षण के आवाज उठाते हुए रेलवे पुलिस द्वारा थाना में बंद कर बेरहमी से पीटा गया, फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे हक अधिकार में डाका डालने वालों के खिलाफ ऐतिहासिक आंदोलन करते हुए सेंट्रल जेल रायपुर में 56 दिन रहते हुए हाल ही में जमानत पर रिहा किया गया, पिछड़ा वर्ग के आरक्षण 14 प्रतिशत से 27 प्रतिशत बढ़ाने की आह्वान करते हुए बिलासपुर से रायपुर तक पदयात्रा किया। उन्होंने स्वीकार किया है कि बस्तर में नक्सलियों के नाम पर निर्दोष आदिवासियों की हत्याएं होने पर न्याय हेतु चल रहे आंदोलनों में बढ़-चढक़र हिस्सा लिया है।'

राजनितिक इतिहास में निर्दलीय की सबसे बड़ी नामांकन रैली
 
लोरमी विधान सभा चुनाव 2023 से निर्दलीय प्रत्याशी वर्मन ने हजारों की संख्या में समर्थकों के साथ रैली निकालकर शक्ति प्रदर्शन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय निवासियों के साथ ही आमजन मौजूद रहे थे। लोरमी विधानसभा क्षेत्र में उस दिन सुबह से ही नामंकन भरने को लेकर उत्साह देखने मिल रहा था, वर्मन के साथ बड़ी संख्या में समर्थक एकत्रित हुए।

नामांकन रैली लोरमी के अलग-अलग मार्गों से होती हुई कलेक्टर कार्यालय पहुंची, जहां संजीत वर्मन ने अनेकों युवा साथियों और समर्थकों के साथ अपना नामांकन दर्ज किया। छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव के परिणाम तीन दिसंबर 2023 को आएंगे, भले ही मुंगेली को लोरमी विधान सभा सीट से कोई भी प्रत्याशी जीते या हारे लेकिन वहां निकली निर्दलीय प्रत्याशी के नामांकन रैली ने सभी बड़ी पार्टी के प्रत्याशियों को गहरी चिंता में डाल दिया है।

बता दें कि नामांकन रैली में जो जन समर्थक पहुंचे थे एससी/एसटी वह कोई पैसे देकर बुलाई गई भीड़ नहीं थी यह दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और अल्पसंख्याकं के अधिकारों के लिए उनके लंबे  संघर्षों का परिणाम था। उनके साथ प्यार स्नेह समाज में भाईचारा से प्रसन्न होकर स्वयं इतना ही नहीं बल्कि इस क्षेत्र का मतदाता संजीत वर्मन को तन - मन -  धन से सहयोग कर रहे थे, मतदाता खुश हैं कि उन्हें एक पढ़ा लिखा युवा विधायक नेता मिलेगा जो विधान सभा में पहुंचकर क्षेत्र को अन्य बड़ी समस्याओं से मुक्त करेगा। 

जातीय अत्याचार से लेकर फर्जी जातीय प्रमाण पत्र बनाकर अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति समाज के खिलाफ हक्कमारी यह उनकी प्रमुख लड़ाइयों में से एक है।

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार इस चुनाव में संजीत वर्मन ने अपनी सम्पत्ति तथा आय 22 लाख बताया है। जनता कांग्रेस जोगी के सागर सिंह बैस ने 1 करोड़, भारतीय जनता पार्टी के अरूण साव ने 1 करोड़, कोंग्रेस के प्रत्यासी थानेश्वर साहू ने 4 करोड़, मिलऊ यादव ने 67 लाख, विग मारकंडे ने 57 लाख, संतोष कैवर्त ने 57 लाख, कोमल राजपूत ने 49 लाख की सम्पत्ति और आय चुनाव आयोग को अपने नामंकन में हलफनामे के साथ दर्शाया है।  


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