"मां मुझे टैगोर बना दे"
कुछ पल जम्मू के दिलचस्प कलाकार लक्की गुप्ता के साथ
दिलीप कुमारलक्की गुप्ता जम्मू शहर के एक भ्रमणशील एकल अभिनेता हैं और पिछले पच्चीस वर्षों से जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और भारत के अन्य हिस्सों में विभिन्न थिएटर समूहों, कंपनियों के साथ एक अभिनेता, निर्देशक के रूप में थिएटर कर रहे हैं। उनका एकल प्रदर्शन "मां मुझे टैगोर बना दे" पिछले तेरह वर्षों से सबसे लंबा चलने वाला प्रोडक्शन है।

इन दिनों इप्टा छत्तीसगढ़ द्वारा 3 से 7 अक्टूबर तक रायपुर, भिलाई तथा बिलासपुर की विभिन्न शिक्षण संस्थानों में जम्मू के युवा अभिनेता व निर्देशक लक्की गुप्ता की एकल प्रस्तुति "मां मुझे टैगोर बना दे" का प्रदर्शन किया जा रहा है।
इसी कड़ी में राजधानी रायपुर के शहीद स्मारक स्वामी आत्मानंद स्कूल में "मां मुझे टैगोर बना दे" की प्रस्तुति की गई। इस प्रेरक नाटक ने छात्र - छात्राओं को भाव विभोर कर दिया। यह नाटक छात्रों को गुदगुदाता भी है और रुलाता भी है...।
गौरतलब है कि लक्की गुप्ता जम्मू शहर के एक भ्रमणशील एकल अभिनेता हैं और पिछले पच्चीस वर्षों से जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और भारत के अन्य हिस्सों में विभिन्न थिएटर समूहों, कंपनियों के साथ एक अभिनेता, निर्देशक के रूप में थिएटर कर रहे हैं।
उनका एकल प्रदर्शन "मां मुझे टैगोर बना दे" पिछले तेरह वर्षों से सबसे लंबा चलने वाला प्रोडक्शन है। वर्ष 2023 में पूरे देश में इसके बारह सौ शो पूरे हो गए हैं। नाटक स्वर्गीय मोहन भंडारी की पंजाबी कहानी से प्रेरित है, नाटक के लेखक और निर्देशक वे ही हैं।
भारत के 25 राज्यों के 800 शहरों और कस्बों में पांच लाख किलोमीटर से अधिक की यात्रा और विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और कई अन्य स्थानों के साठ लाख से अधिक छात्रों को इस नाटक ने बेहद प्रेरित किया है।
...एनएसडी, नई दिल्ली छात्र संघ ने 2017 में, मध्य प्रदेश स्कूल ऑफ ड्रामा ने 2013, 2015 और 2017 में उन्हें इस शो के लिए आमंत्रित किया था। इस नाटक ने भारत में सौ से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय थिएटर महोत्सव में भी भाग लिया है।
उन्होंने इसे चलती ट्रेन, बसों में, रेलवे प्लेटफार्म पर, बस स्टॉप पर, छतों पर, रेस्तरां में कई शो में, लिविंग रूम में प्रदर्शित किया है।
"मां मुझे टैगोर बना दे" का अभिनय अंतरंग शैली में है और दर्शकों की भागीदारी पर आधारित है। इसमें कई किरदार दर्शकों द्वारा निभाए जाते हैं।
यह छात्रों, युवाओं, वरिष्ठ दर्शकों के लिए एक अनोखा अनुभव होगा। यह नाटक दर्शक के हिसाब से अपना रूप बदलता है, जैसे दर्शक वैसा अनुभव, खास कर स्टूडेंट के लिए एक लाइफ चेंजिंग परफॉर्मेंस है।
दिलीप कुमार पेशे से पत्रकार हैं और दुर्ग जिला में निवासरत हैं।
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