गौरी लंकेश की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी
मैं किसी भी तरह की धार्मिक कट्टरता के ख़िलाफ़ हूं
दक्षिण कोसल टीमवरिष्ठ पत्रकार और दक्षिणपंथयों की आलोचक गौरी की कट्टरपंथियों ने 5 सितम्बर 2017 को हत्या कर दी थी। उन्होंने लंकेश पत्रिका के जरिए ‘कम्युनल हार्मनी फोरम’ को काफी बढ़ावा दिया। ‘लंकेश पत्रिका’ को उनके पिता ने 40 साल पहले शुरू किया था और इन दिनों वो इसका संचालन कर रही थीं।

उस शाम गौरी जब अपने घर लौट रही थीं, तब उनके घर के बाहर ये हमला हुआ था। इससे पहले डॉ. एमएम कलबुर्गी और डॉ पंसारे की भी हमलावरों ने हत्या की थी। 12वीं सदी के संत बश्वेश्वरा और रैशनजिल्म पर गौरी के विचार काफी हद तक कलबुर्गी जैसे ही थे।
गौरी के पिता पी लंकेश एक पुरस्कार विजेता फिल्ममेकर थे, जिन्होंने 1980 में लंकेश पत्रिका शुरू की थी। गौरी की उम्र 55 साल थी।
गौरी पत्रकार, लेखक और विकासशील विचारों की थीं। उन्होंने हमेशा कट्टरपंथियों के खिलाफ आवाज़ उठाई थी।
गुजरात फाइल्स की लेखिका और पत्रकार राणा अय्यूब ने गौरी की हत्या पर दुख जताते हुए लिखा था कि मेरी किताब का कन्नड़ संस्करण छापने वाली मेरी दोस्त गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या कर दी गई। देश के हर गली में एक गोड्से घूम रहा हैं। गौरी को लगभग हर संभावित दक्षिणपंथी संगठन से धमकी मिल रही थी।
मंगलेश डबराल का कहना था कि पिछले दो सालों से उनको अनेक तरह की धमकियां दी जा रही थीं। वो कहते हैं, ‘गौरी ने बार-बार लिखा कि मैं एक सेकुलर देश की इंसान हूं और मैं किसी भी तरह की धार्मिक कट्टरता के ख़िलाफ़ हूं।
उनका आरोप है था कि क्षेत्रीय स्तर पर कई ताकतें सर उठा रही हैं और इन्हें समर्थन, प्रश्रय मिला हुआ है। अनेक बार इन हत्याओं के सिलसिले में सनातन संस्था का नाम आया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
वाकई यह चिंता की बात है कि हमारे समय की सत्ताधारी राजनीति इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वाली ताकतों के सर पर हाथ रखे हुए हैं।
Add Comment